अकाल मृत्यु का कारण बन सकती हैं ये आदतें, जरूर जानें
premanand ji maharaj: काल मृत्यु के योग कुंडली या हस्तरेखा में उपस्थित होते हैं, लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि यदि कुंडली में यह योग नहीं है, तब भी कुछ व्यक्तियों को अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है। यहां जानें प्रेमानंद महाराज से कि कौन से वो वजहें हैं जो आकाल मृत्यु का कारण बनती हैं.
यदि हम अपने जीवन में सकारात्मक आदतों को अपनाते हैं, तो कई समस्याएँ अपने आप हल हो जाती हैं. इसके विपरीत, यदि हमारी आदतें नकारात्मक हैं, तो जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आ सकते हैं, और ये आदतें हमारी असामयिक मृत्यु का कारण भी बन सकती हैं. प्रेमानंद जी महाराज, जो आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन कर रहे हैं, उन्होंने कुछ ऐसी आदतों का उल्लेख किया है जिनसे हमें हमेशा बचना चाहिए. आइए, इन आदतों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
संध्या काल में इन कार्यों से बचना चाहिए
संध्या काल में भोजन करना और शारीरिक संबंध बनाना उचित नहीं माना जाता. इन गतिविधियों से व्यक्ति की आयु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इस समय भगवत भजन करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है.
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साधु संतों का अपमान
महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति साधु, संतों, गुरुओं या अपने पिता का अपमान करता है, तो उसके जीवन में अनेक समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं. यदि कोई गंभीर अपराध किया गया है, तो यह अकाल मृत्यु का कारण बन सकता है.
दूसरों के जूते-चप्पलों या कपड़े पहनना
महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार, शास्त्रों के अनुसार, दूसरों के जूते-चप्पल या कपड़े पहनने से व्यक्ति की आयु में कमी आती है. कई लोग अपने मृतकों के वस्त्र पहनने लगते हैं, जो कि अत्यंत नकारात्मक है. इस प्रकार के कार्य अल्पायु के योग उत्पन्न करते हैं.
ब्रह्म मुहूर्त में सोना
जो व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में सोते रहते हैं, उनकी जीवन अवधि में कमी आ सकती है. इसके विपरीत, जो लोग इस समय योग, ध्यान और भजन में संलग्न रहते हैं, उनकी आयु में वृद्धि होती है.
पवित्र स्थलों पर अशुद्धता फैलाना
यदि आप धार्मिक और पवित्र स्थलों पर अशुद्धता फैलाते हैं या अनुचित कार्य करते हैं, तो यह भी आपकी आयु को प्रभावित कर सकता है. इसलिए, पवित्र स्थलों पर आपको सरलता और विनम्रता से व्यवहार करना चाहिए.