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Puri Rath Yatra 2022: पुरी के शिल्पकार बिना किसी मशीन के हर साल बनाते हैं एक जैसे रथ, नहीं करते कोई बदलाव

Puri Rath Yatra 2022: रथ निर्माण में जुटे शिल्पकारों के इस समूह को कोई औपचारिक प्रशिक्षण हासिल नहीं है. इन शिल्पकारों के पास केवल कला एवं तकनीक का ज्ञान है, जो उन्हें उनके पूर्वजों से मिली है.

By Agency | June 27, 2022 1:54 PM

Puri Rath Yatra 2022: ओडिशा के पुरी (Puri) में बिना किसी औपचारिक शिक्षा या आधुनिक मशीन के शिल्पकारों का एक समूह हर साल पारंपरिक तरीके से भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) और उनके भाई-बहन बालभद्र व सुभद्रा (Balabhadra and Subhadra) के लिए एक जैसे विशाल रथ बनाता है. वार्षिक रथ यात्रा उत्सव के दौरान ये तीन रथ अपनी शाही संरचना और शानदार शिल्प कला के चलते हमेशा चर्चा में रहते हैं. यह रथ यात्रा 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर से लेकर गुंडिचा मंदिर तक निकाली जाती है. इस बार रथ यात्रा 2022 (Rath Yatra 2022) 1 जुलाई को निकाली जाएगी.

सदियों से रथ की ऊंचाई, चौड़ाई और अन्य प्रमुख मापदंडों में कोई बदलाव नहीं आया

जगन्नाथ संस्कृति पर अध्ययन करने वाले असित मोहंती ने के अनुसार हर साल नए रथ बनाए जाते हैं. सदियों से उनकी ऊंचाई, चौड़ाई और अन्य प्रमुख मापदंडों में कोई बदलाव नहीं आया है. हालांकि, रथों को अधिक रंगीन और आकर्षक बनाने के लिए उनमें नयी-नयी चीजें जरूर जोड़ी जाती हैं.

शिल्पकारों कोे पूर्वजों से मिला रथ निर्माण का ज्ञान

रथ निर्माण में जुटे शिल्पकारों के इस समूह को कोई औपचारिक प्रशिक्षण हासिल नहीं है. इन शिल्पकारों के पास केवल कला एवं तकनीक का ज्ञान है, जो उन्हें उनके पूर्वजों से मिली है.

भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले ‘नंदीघोष’ रथ का निर्माण

भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले ‘नंदीघोष’ रथ का निर्माण करने वाले बिजय महापात्र कहते हैं मैं लगभग चार दशकों से रथ बनाने का काम कर रहा हूं. मुझे मेरे पिता लिंगराज महापात्र ने इसका प्रशिक्षण दिया था. उन्होंने खुद मेरे दादा अनंत महापात्र से यह कला सीखी थी. यह सदियों से चली आ रही एक परंपरा है. हम भाग्यशाली हैं कि हमें भगवान की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है. उन्होंने बताया कि रथों के निर्माण में केवल पारंपरिक उपकरण जैसे छेनी आदि का इस्तेमाल किया जाता है.

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लकड़ी के 832 टुकड़ों से किया गया है भगवान जगन्नाथ के रथ का निर्माण

भगवान जगन्नाथ का रथ लाल और पीले रंग के कपड़ों से ढका हुआ है और इसका निर्माण लकड़ी के 832 टुकड़ों से किया गया है. भगवान बालभद्र के रथ ‘तजद्वाज’ में 14 पहिए हैं और वह लाल तथा हरे रंग के कपड़ों से ढका हुआ है. इसी तरह, देवी सुभद्रा का रथ ‘दर्पदलन’, जिसमें 12 पहिए हैं, उसे लाल और काले कपड़े से ढका गया है.

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