Loading election data...

Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन कब है, जान लें सही डेट, भद्रा टाइम, राखी बांधने का शुभ समय और कथा

Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन कब है. राखी बांधने का सही डेट कब है. इस दिन भद्रा टाइम क्या है और राखी बांधने का शुभ समय कब से कब तक रहेगा. क्योकि भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है. आइए जानते है रक्षाबंधन से जुड़ी पूरी डिटेल्स.

By Radheshyam Kushwaha | August 20, 2023 8:12 AM

Raksha Bandhan 2023 Date: हिंदू धर्म में रक्षाबंधन (राखी) का विशेष महत्व है. हर साल सावन की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. रक्षाबंधन त्योहार का नाम संस्कृत शब्दावल में पाया जाता है. ‘रक्षा’ का अर्थ है रक्षा करना औ ‘बंधन’ का अर्थ है बांधना. आइए जानते हैं कि इस साल रक्षाबंधन का पर्व किस दिन मनाया जाएगा.

रक्षाबंधन पर रहेगा भद्रा का साया

रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को है. हालांकि 30 अगस्त को पूर्णिमा वाले दिन भद्रा का साया है और भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है, इसलिए इस साल रक्षाबंधन का पर्व 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, भद्रा 30 अगस्त की सुबह 10 बजकर 58 मिनट से रात 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी.

Also Read: Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन कब 30 या 31 जुलाई को, इस बार रखी बांधते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां
कब बांधी जा सकेगी राखी

सावन महीने की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त की सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी. वहीं अगले दिन 31 अगस्त की सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी. भद्रा की शुरुआत भी 30 अगस्त की सुबह 10 बजकर 58 मिनट से होगी और रात 09 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी. 30 अगस्त की रात में 9 बजे के बाद राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है. 31 अगस्त को सावन की पूर्णिमा सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है. इस समय में भद्रा नहीं है. ऐसे में 31 अगस्त की सुबह 7 बजे तक राखी बांधी ज सकती है. भद्रा की वजह से इस साल रक्षाबंधन 2 दिन 30 और 31 अगस्त को मनाया जाएगा.

Also Read: Raksha Bandhan 2023: कब है रक्षाबंधन, यहां दूर करें कनफ्यूजन, जानें सही डेट और राखी बांधने का शुभ समय
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

  • 30 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त- रात 09 बजकर 01 मिनट से रात 12 बजे तक

  • 31 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त: सूर्योदय काल से सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक

राखी बांधने की विधि और मंत्र

  • सावन पूर्णिमा के दिन सबसे पहले स्नान कर साफ सुथरे वत्र धारण करें.

  • इसके बाद देवी-देवताओं को प्रणाम करें और कुल देवी-देवताओं का आशीर्वाद लें.

  • चांदी, पीतल या तांबे की थाली में राखी, अक्षत, रोली या सिंदूर एक छोटी कटोरी में रखें.

  • राखी की थाली को पूजा स्थल पर रखें और सबसे पहली राखी बाल गोपल या अपने ईष्ट देवता को अर्पित करें. भगवान से प्रार्थना करें.

  • राखी बंधते समय भाई का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.

  • राखी बंधवाते समय भाइयों को सिर पर रुमाल या कोई स्वच्छ वस्त्र रखना चाहिए.

  • बहन सबसे पहले भाई के माथे पर रोली का टीका लगाएं.

  • टीका के ऊपर अक्षत लगाएं और आशीर्वाद के रूप में भाई के ऊपर कुछ अक्षत छींटें.

  • भाई की नजर उतारने के लिए दीप से आरती दिखाएं.

  • कहीं-कहीं बहनें अपनी आंखों का काजल भी भाई को लगाती हैं.

  • भाई की दायीं कलाई में राखी का पवित्र धागा, मंत्र बोलते हुए बांधे.

  • इससे राखी के धागों में शक्ति का संचार होता है.

  • भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराएं.

  • अगर भाई बड़ा हो तो बहनें भाई के चरण स्पर्श करें.

  • बहनें बड़ी हों तो भाइयों को बहनों के चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए.

  • भाई वस्त्र, आभूषण या धन देकर बहन के सुखी जीवन की कामना करें.

Also Read: Raksha Bandhan 2023: कब है रक्षाबंधन, क्यों मनाया जाता है यह पर्व, जानें कैसे शुरू हुई राखी बांधने की परंपरा
रक्षाबंधन की कथा (Raksha Bandhan katha)

धार्मिक मान्याता के अनुसार, रक्षाबंधन की कथा धर्मराज युधिष्ठिर के आग्रह पर भगवान श्रीकृष्ण ने रक्षाबंधन की कथा सुनाई थी. कथा के अनुसार, एक बार राक्षसों और देवताओं में भयंकर युद्ध छिड़ गया, जो करीब 12 वर्षों तक चलता रहा. एक समय ऐसा भी आया जब असुरों ने देवराज इंद्र को भी पराजित कर दिया. पराजित होने के बाद देवराज इंद्र अपने देवगणों को लेकर अमरावती नामक स्थान पर चले गए. इंद्र के जाते ही दैत्यराज ने तीनों लोकों पर अपना राज स्थापित कर लिया. इसके साथ ही राक्षसराज ने यह मुनादी करा दी की कोई भी देवता उसके राज्य में प्रवेश न करें और कोई भी व्यक्ति धर्म-कर्म के कार्यों में हिस्सा न लें. अब से सिर्फ राक्षस राज की ही पूजा होगी. राक्षस की इस आज्ञा के बाद धार्मिक कार्यों पर पूरी तरह से रोक लग गई. धर्म की हानि होने से देवताओं की शक्ति क्षीण होने लगी.

Also Read: Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन पर भद्रा का साया, इस साल 2 दिन बांधी जाएगी राखी, यहां दूर करें कंफ्यूजन

तब देवराज इंद्र देवगुरु वृहस्पति की शरण ली और इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा. तब देवगुरु बृहस्पति ने इंद्र को रक्षा सूत्र का विधान करने के लिए कहा. इसके लिए उन्होंने कहा कि रक्षा सूत्र का विधान पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए. रक्षा सूत्र बांधते समय इस मंत्र का पाठ करना चाहिए-

येन बद्धो बलिर्राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामभिवध्नामि रक्षे मा चल मा चल:।

देवगुरु बृहस्पति के कहे अनुसार इंद्राणी ने सावन मास की श्रावणी पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त पर इंद्र की दाहिनी कलाई पर विधि विधान से रक्षा सूत्र बांधा और युद्धभूमि में लड़ने के लिए भेज दिया. रक्षा सूत्र यानि रक्षा बंधन के प्रभाव से राक्षस पराजित हुए और देवराज इंद्र को पुन: खोया हुआ राज्य और सम्मान प्राप्त हुआ. मान्यता है कि इस दिन से रक्षाबंधन की परंपरा का आरंभ हुआ.

Also Read: Raksha Bandhan 2023 Date: इस साल दो दिन क्यों मनेगा राखी का त्योहार, जानें राखी बांधने की सही तिथि और शुभ समय
यहां पढ़ें रक्षाबंधन से जुड़ी खबरें
Also Read: Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन के दिन भाई की कलाई पर राखी बांधने के क्या होते हैं नियम, जानें जरूरी बातें
Also Read: Raksha Bandhan 2023: कब है रक्षाबंधन 30 या 31 अगस्त, जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और दूर करें कन्फ्यूजन
Also Read: Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन कब है? शहर में सजी दुकानें, रेशम, हैंडमेड व इको फ्रेंडली राखियों की डिमांड
Also Read: Raksha Bandhan 2023: इस बार रक्षाबंधन 30 अगस्त को मनाना शुभ या 31 को? जानें सही तिथि और राखी बांधने का शुभ समय
Also Read: Raksha Bandhan 2023: भद्रारहित काल में ही मनाएं रक्षाबंधन का त्योहार, जानें राखी बांधने का शुभ समय
Also Read: Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन 2023 कब है 30 या 31 अगस्त, जानें राखी बांधने से पहले भद्रा काल और जरूरी बातें
Also Read: राखी बांधने से पहले थाली में जरूर रखें ये चीजें, जानें महत्व

Next Article

Exit mobile version