Ram Navami 2024 Date: चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि भगवान श्रीराम को समर्पित है, इसी दिन भगवान विष्णु ने प्रभु श्रीराम के रूप में अवतार लिया था. इसीलिए हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी मनाई जाती है. इस तिथि पर जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की भी पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्री राम की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त दुख और संकट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं. आइए जानते है राम नवमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त-विधि और महत्व के बारे में…
साल 2024 में राम नवमी कब मनाई जाएगी
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 23 मिनट से होगी. वहीं नवमी तिथि की समाप्ति 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर होगी. राम नवमी का पर्व 17 अप्रैल को मनाया जाएगा. रामनवमी के दिन पूजा करने के लिए शुभ समय 11 बजकर 10 मिनट से लेकर 1 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. इस दिन पूजा के लिए शुभ समय 02 घंटे 33 मिनट है.
राम नवमी पूजा सामग्री में क्या क्या लगता है
प्रभु श्रीराम की तस्वीर, चंदन, अक्षत, कपूर, रौली, मौली, फूल, माला, सिंदूर श्रीराम की पीतल या चांदी की मूर्ति, अभिषेक के लिए दूध, दही, शहद, शक्कर, गंगाजल, मिठाई, पीला वस्त्र, धूप, दीप, पान, लौंग, इलायची अबीर, गुलाल, ध्वजा, सुंदरकांड या रामायण की पुस्तक, केसर, पंचमेवा, पांच फल, हल्दी, इत्र, तुलसी दल, हवन सामग्री आदि.
राम नवमी पूजा हवन सामग्री
हवन कुंड, कपूर, तिल, नवग्रह की लकड़ी, पंचमेवा, मुलैठी की जड़, लौंग, आम के पत्ते, गाय की घी, इलायची, शक्कर, चावल, आम की लकड़ी, पीपल का तना, छाल, बेल, नीम, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, जटाधारी नारियल, गूलर की छाल, गोला और जौ हवन के लिए जरुरी सामान आदि.
राम नवमी पूजा विधि
- रामनवमी पर दिन की शुरुआत भगवान श्री राम के ध्यान से करें.
- इसके बाद सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें.
- फिर अपने घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
- भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर पर तुलसी का पत्ता और फूल अर्पित करें.
- भगवान को फल भी अर्पित करें और अगर आप व्रत कर सकते हैं, तो इस दिन व्रत भी रखें.
- रामनवमी के दिन रामरक्षा मंत्र ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं रामचन्द्राय श्री नमः’ का जाप करें.
- भगवान श्रीराम को अपनी इच्छानुसार सात्विक चीजों का भोग लगाएं.
- इस पावन दिन भगवान श्रीराम की आरती भी अवश्य करें.
- आप रामचरितमानस, रामायण, श्री राम स्तुति और रामरक्षास्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं.