Ramadan 2021 Date, Pehla Roza, Akhri Roza, Ramjan Eid 2021: रमजान का पाक महीना इसी माह से शुरू होने वाला है. 14 अप्रैल से इस्लाम मजहब के लोग रोजा रखेंगे. आपको बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान नौवां महीने में पड़ता है. गौरतलब है कि चांद दिखने के बाद ही इसकी शुभ तिथि आरंभ होगी. वहीं इसके आखिरी दिन ईद मनायी जाती है. तो आइये जानते है इस पर्व का महत्व, इससे जुड़ी कुछ मान्यताएं व सभी तिथियों के बारे में….
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14 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 13 मिनट से शाम 6 बजकर 21 मिनट तक
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15 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 12 मिनट से शाम 6 बजकर 21 मिनट तक
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16 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 11 बजे से शाम 6 बजकर 22 मिनट तक
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17 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 10 बजे से शाम 6 बजकर 22 मिनट तक
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18 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 09 बजे से शाम 6 बजकर 23 मिनट तक
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19 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 07 बजे से शाम 6 बजकर 23 मिनट तक
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20 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 06 बजे से शाम 6 बजकर 24 मिनट तक
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21 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 05 बजे से शाम 6 बजकर 24 मिनट तक
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22 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 04 बजे से शाम 6 बजकर 25 मिनट तक
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23 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 03 बजे से शाम 6 बजकर 25 मिनट तक
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24 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 02 बजे से शाम 6 बजकर 26 मिनट तक
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25 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 01 बजे से शाम 6 बजकर 26 मिनट तक
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26 अप्रैल: सुबह 4 बजकर 00 बजे से शाम 6 बजकर 27 मिनट तक
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27 अप्रैल: सुबह 3 बजकर 59 बजे से शाम 6 बजकर 28 मिनट तक
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28 अप्रैल: सुबह 3 बजकर 58 बजे से शाम 6 बजकर 28 मिनट तक
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29 अप्रैल: सुबह 3 बजकर 57 बजे से शाम 6 बजकर 29 मिनट तक
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30 अप्रैल: सुबह 3 बजकर 56 बजे से शाम 6 बजकर 29 मिनट तक
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01 मई: सुबह 3 बजकर 55 बजे से शाम 6 बजकर 30 मिनट तक
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02 मई: सुबह 3 बजकर 54 बजे से शाम 6 बजकर 30 मिनट तक
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03 मई: सुबह 3 बजकर 53 बजे से शाम 6 बजकर 31 मिनट तक
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04 मई: सुबह 3 बजकर 52 बजे से शाम 6 बजकर 31 मिनट तक
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05 मई: सुबह 3 बजकर 51 बजे से शाम 6 बजकर 32 मिनट तक
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06 मई: सुबह 3 बजकर 50 बजे से शाम 6 बजकर 32 मिनट तक
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07 मई: सुबह 3 बजकर 49 बजे से शाम 6 बजकर 33 मिनट तक
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08 मई: सुबह 3 बजकर 48 बजे से शाम 6 बजकर 34 मिनट तक
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09 मई: सुबह 3 बजकर 47 बजे से शाम 6 बजकर 34 मिनट तक
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10 मई: सुबह 3 बजकर 46 बजे से शाम 6 बजकर 35 मिनट तक
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11 मई: सुबह 3 बजकर 45 बजे से शाम 6 बजकर 35 मिनट तक
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12 मई: सुबह 3 बजकर 44 बजे से शाम 6 बजकर 36 मिनट तक
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13 मई: सुबह 3 बजकर 44 बजे से शाम 6 बजकर 36 मिनट तक
रमजान में सहरी की परंपरा: रमजान के दौरान सुबह सूर्य निकलने से पहले भोजन करने की परंपरा होती है जिसे सहरी कहा जाता है. सेहरी करने की परंपरा को सुन्नत भी कहा जाता है.
रमजान में इफ्तार की परंपरा: पूरे दिन महीना भर रोजा रखा जाता है और प्रत्येक दिन सूर्यास्त के बाद रोजा खोलने की परंपरा होती है जिसे इफ्तार भी कहा जाता है.
रमजान में शब-ए-कद्र मनाने की परंपरा: रमजान माह में शब-ए-कद्र मनाने की परंपरा भी होती है. जिसमें इस्लाम से जुड़े सभी रोजेदार लोग रात भर जागकर इबादत करते हैं और पूरे पाक महीने पांचों प्रहर नमाज अदा करने की परंपरा होती है. जिसे शब-ए-कद्र भी कहा जाता है.
रमजान के महीने में तीन अशरे होते है. इनमें पहले अशरा रहमत का माना गया है. ऐसी मान्यता है कि पहले 10 दिन रोजा रखने वालों पर अल्लाह की रहमत बरसती है. कहा जाता है कि इस दौरान सभी से प्रमपूर्वक रहना चाहिए. साथ ही साथ निर्धनों व जरूरतमंदों को अधिक से अधिक दान करना चाहिए.
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान का दूसरा अशरा माफी का माना गया है. जिसे 11वें से 20वें रोजे तक माना जाता है. कहा जाता है कि इस दौरान इबादत करके अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए.
रमजान का तीसरा और अंतिम अशरा 21वें से 30वें रोजे तक होता है. इस दौरान अशरा जहन्नम की आग से खुद को बचाने के लिए माना जाता है. इस अंतिम अशरे का खास महत्व होता है. रोजेदार इस दौरान खुद को जहन्नम की आग से बचाने के लिए अल्लाह से दुआएं मांगते है.
Posted By: Sumit Kumar Verma