रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली सालगिरह कल, मंदिर में होगा भव्य आयोजन

Ramlala Pran Pratishtha Mahotsav First Anniversary: अयोध्या में भगवान श्री रामलला के भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए भक्तों में विशेष उत्साह है. हालांकि, इस तिथि को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है, क्योंकि पिछले वर्ष 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी, जिसे विश्वभर में देखा गया था. अब यह स्पष्ट हो गया है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ 22 जनवरी को नहीं, बल्कि 11 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी.

By Shaurya Punj | January 10, 2025 4:06 PM

Ramlala Pran Pratishtha Mahotsav 2025: अयोध्या में भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का एक वर्ष पूरा होने वाला है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, राम मंदिर की यह वर्षगांठ 11 जनवरी को मनाई जाएगी. श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट ने इस विशेष अवसर को अत्यंत धूमधाम से मनाने की योजना बनाई है. इस दिन भगवान रामलला को पीतांबर वस्त्र पहनाए जाएंगे, जिनकी बुनाई और कढ़ाई सोने और चांदी के तारों से की गई है.

11 जनवरी 2025 राम मंदिर कार्यक्रम सूची

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यज्ञ मण्डप (मंदिर परिसर)

शुक्ल यजुर्वेद के मंत्रों से अग्निहोत्र (सुबह 8-11 बजे और दोपहर 2-5 बजे)
6 लाख श्रीराम मंत्र जाप
राम रक्षा स्त्रोत, हनुमान चालीसा, आदि का पाठ

मंदिर भूतल पर कार्यक्रम

राग सेवा (3-5 बजे)
बधाई गान (6-9 बजे)

यात्री सुविधा केंद्र के प्रथम तल पर
संगीतमय मानस पाठ

अंगद टीला

राम कथा (2-3:30 बजे)
मानस प्रवचन (3:30-5 बजे)
सांस्कृतिक कार्यक्रम (5:30-7:30 बजे)
भगवान का प्रसाद वितरण (प्रातःकाल से)

क्यों है तारीख में परिवर्तन?

यह परिवर्तन हिंदू पंचांग के अनुसार त्योहारों की तिथियों में बदलाव के कारण हुआ है. पिछले वर्ष प्राण प्रतिष्ठा पौष शुक्ल द्वादशी के दिन हुई थी, जो 22 जनवरी को थी. इस वर्ष यह तिथि 11 जनवरी को आ रही है, इसलिए प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ इसी दिन मनाई जाएगी. इसे प्रतिष्ठा द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है.

क्यों है यह दिन विशेष?

इस दिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ मनाने का धार्मिक महत्व है. माना जाता है कि पौष शुक्ल द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इसलिए इस वर्ष 11, 12 और 13 जनवरी को मंदिर में भव्य उत्सव का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक कार्यक्रम शामिल होंगे.

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