Rangbhari Ekadashi 2024: धर्म नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ खास प्रकार की पगड़ी पहनकर रंगभरी एकादशी के दिन मां गौरा का गौना लेने जायेंगे. वाराणसी के टेढ़ीनीम का महंत निवास की महिलाओं ने मां गौरा के तीन दिवसीय विशेष पूजन के साथ उनकी विदाई की तैयारी आरंभ कर दी हैं. आज सोमवार से मां गौरा की हल्दी की रस्म आरंभ कर दी गयी है. जानकारी के अनुसार धर्म नगरी काशी में 20 मार्च को रंगभरी एकादशी के अवसर पर बाबा काशी विश्वनाथ और मां गौरा का गौना मनाया जाएगा. इस बार बाबा काशी विश्वनाथ का मुकुट पहली बार बंगाल के कारीगरों द्वारा बनाया गया है. बाबा विश्वनाथ के सिर पर प्राचीन पंगडी भी बांधी जाती है.
भक्तों के साथ होली खेलेंगे बाबा विश्वनाथ
इस साल रंगभरी एकादशी का पर्व खास अंदाज में मनाने की तैयारी है. रंगभरी एकादशी के दिन बाबा काशी विश्वनाथ सपरिवार पूर्व महंत आवास से काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर तक पालकी यात्रा पर सवार होंगे. इस दौरान गली में भक्तों के साथ बाबा विश्वनाथ होली खेलेंगे. इस बार भगवान शिव और मां गौरा अपने सिर पर बंगीय शैली का देवकिरीट धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे. इसको लेकर विशेष तैयारी की जा रही है.
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अनोखा होगा बाबा का मुकुट
धर्म की नगरी काशी में 20 मार्च को धूमधाम से रंगभरी एकादशी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन बाबा विश्वनाथ मां गौरी को गौना लेने जाएंगे. इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. इस वर्ष पहली बार बंगाल के कारीगरों द्वारा बनाया गया देवकिरीट भगवान शिव और माता पार्वती धारण करेंगे. काशीपुरी पीठाधीश्वरी माता अन्नपूर्णा मंदिर के महंत गोस्वामी शंकर पुरी महाराज द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती के लिए यह तैयार हुआ विशेष देवकिरीट पूर्व महंत परिवार को सौंपा गया है.
गौरा की हल्दी से शुरू हुआ अनुष्ठान
रंगभरी एकादशी महोत्सव का प्रारंभ गौरा की हल्दी से 18 मार्च को आरंभ हो गया. रंगभरी एकादशी पर मां गौरा के गौना के पारंपरिक आयोजन से पूर्व गौरा को हल्दी लगाई जाएगी. पूर्व महंत के आवास पर हल्दी के आयोजन 18 मार्च को शाम 6 बजकर 45 मिनट पर शुरू होंगे. वहीं 19 मार्च को गौना बरात का आगमन होगा. 20 मार्च को गौरा की विदाई होगी.