Rangbhari Ekadashi 2024: कब है रंगभरी एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और महत्व
Rangbhari Ekadashi 2024: रंगभरी एकादशी पर पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है. रंगभरी एकादशी का व्रत और पूजन साधकों को 12 महीने की एकादशी के समान फल देने वाला है, इस बार का एकादशी व्रत 20 मार्च को पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा.
Rangbhari Ekadashi 2024: फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, इस एकादशी तिथि को आमलकी या रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है. रंगभरी या आमलकी एकादशी महाशिवरात्रि और होली के बीच में आती है. रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. रंगभरी एकादशी के दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव और देवी गौरी की विशेष पूजा की जाती है. रंगभरी एकादशी के दिन आमलकी एकादशी भी मनाई जाती है, जिसमें भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है.
रंगभरी एकादशी पर पुष्य नक्षत्र का संयोग
रंगभरी एकादशी पर पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है. रंगभरी एकादशी का व्रत और पूजन साधकों को 12 महीने की एकादशी के समान फल देने वाला है. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी 19 मार्च को अर्धरात्रि 12 बजकर 24 मिनट पर शुरू हो रही है और 20 मार्च को अर्धरात्रि के पश्चात 2 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी, इस बार का एकादशी व्रत 20 मार्च को पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा. पुष्य नक्षत्र 19 मार्च को रात्रि 8 बजकर 10 मिनट से 20 मार्च को रात्रि 10 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. एकादशी व्रत पूजा का शुभ समय 20 मार्च को सुबह 6 बजकर 25 मिनट से सुबह 9 बजकर 27 मिनट तक है. वहीं एकादशी व्रत पारण करने का शुभ समय 21 मार्च को 01 बजकर 47 मिनट से 04 बजकर 12 मिनट तक है, इस दिन हरि वासर समाप्त होने का समय 08 बजकर 58 मिनट पर है.
एकादशी व्रत पूजा सामग्री लिस्ट
श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, तुलसी दल, चंदन, मिष्ठान.
एकादशी पूजा- विधि
एकादशी तिथि के दिन सुबह स्नान घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
इसके बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें.
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें.
भगवान शंकर और माता पार्वती का जल से अभिषेक करें.
भगवान विष्णु जी को भोग लगाएं आरती करें.
भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें.
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आमलकी एकादशी महत्व
रंगभरी एकादशी के दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव और देवी गौरी की विशेष पूजा की जाती है. रंगभरी एकादशी के दिन आमलकी एकादशी भी मनाई जाती है, जिसमें भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. आमलकी का अर्थ आंवला होता है. भगवान विष्णु ने आंवले को आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया था. धार्मिक मान्यता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवला और श्री हरि विष्णु की पूजा करने से मोक्ष मिलता है. वहीं इस दिन शिव जी पार्वती माता के पहली बार शादी के बाद काशी लाए थे, इसलिए इस दिन महादेव को गुलाल अर्पित करता है उनके वैवाहिक जीवन में रूठी खुशियां वापस लौट आती हैं, इस एकादशी पर किसी मंदिर में आंवले का पौधा भी लगा सकते हैं. मान्यता है कि आमलकी एकादशी व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.