Ravivari Saptami: रविवारी सप्तमी पर सूर्य पूजा से घातक रोगों का होता है नाश, जानें पूजा विधि और महत्व

Ravivari Saptami: हिंदू धर्म में रविवारी सप्तमी का विशेष महत्व है. ब्रह्म पुराण के अनुसार, इस दिन किए गए सभी धार्मिक कृत्य बड़े-बड़े पापों का नाश करने में सक्षम होते हैं.

By Radheshyam Kushwaha | August 10, 2024 3:31 PM

Ravivari Saptami: हिंदू धर्म में विजया सप्तमी का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, इस दिन किए गए स्नान, दान, ध्यान, जप, तप, होम, और उपवास का महत्व बहुत अधिक होता है और यह सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाला माना जाता है. ब्रह्म पुराण के अनुसार, इस दिन किए गए सभी धार्मिक कृत्य बड़े-बड़े पापों का नाश करने में सक्षम होते हैं. रविवारी सप्तमी 11 अगस्त को मनाई जाएगी.

विशेष रूप से, रविवार को पड़ने वाली सप्तमी को “रविवारी सप्तमी” कहा जाता है, इस दिन घातक रोगों से मुक्ति पाने के लिए विशेष पूजा विधि का प्रचलन है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन बिना नमक का भोजन करना और सूर्य भगवान की पूजा करना बेहद फलदायी माना गया है.

घातक रोगों से मुक्ति के लिए उपाय

रविवारी सप्तमी के दिन तिल के तेल का दिया जलाकर सूर्य भगवान की आराधना की जाती है. इसके साथ ही, “जपा कुसुम संकाशं काश्यपेयम महा द्युतिम। तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर।” इस विशेष मंत्र का जाप करने से घातक बीमारियों से मुक्ति मिलती है. यदि किसी परिवार में कोई सदस्य बीमार है, तो यह विधि परिवार का अन्य सदस्य कर सकता है, जिससे बीमारी दूर होने की संभावना बढ़ जाती है.

रविवारी सप्तमी का महत्व

धार्मिक ग्रंथों में रविवारी सप्तमी को सूर्यग्रहण के समान महत्व दिया गया है. शिव पुराण के अनुसार, इस दिन जप, ध्यान, स्नान, दान और श्राद्ध करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. यह तिथि विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो घातक बीमारियों से जूझ रहे हैं.

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सूर्य भगवान की पूजा विधि

इस दिन सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया दिखाकर आरती की जाती है, इसके साथ ही, जल में चावल, शक्कर, गुड़, लाल फूल या लाल कुमकुम मिलाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की परंपरा है.

सूर्य अर्घ्य मंत्र:
सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के समय निम्न मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए:

“ॐ मित्राय नमः।”
“ॐ रवये नमः।”
“ॐ सूर्याय नमः।”
“ॐ भानवे नमः।”
“ॐ खगाय नमः।”
“ॐ पूष्णे नमः।”
“ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।”
“ॐ मरीचये नमः।”
“ॐ आदित्याय नमः।”
“ॐ सवित्रे नमः।”
“ॐ अर्काय नमः।”
“ॐ भास्कराय नमः।”
“ॐ श्रीसवितृ- सूर्यनारायणाय नमः।”

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