Varuthini Ekadashi Vrat Katha, Lord Vishnu Puja, Significance: हर माह एकादशी का व्रत रखा जाता है. ऐसे में हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शुक्रवार, 7 मई 2021 को पड़ रही है जिसे वरुथिनी एकादशी व्रत भी कहा जाता है. यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है. आइए जानते हैं वरुथिनी एकादशी व्रत कथा के बारे में विस्तार से…
दरअसल, भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को वरुथिनी एकादशी व्रत की कथा सुनाई थी. धर्मराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के महत्व व व्रत कथा के बारे में सुनने की जब इच्छा जताई तो श्रीकृष्ण ने बताया कि प्राचीन काल में एक मांधाता नाम का एक राजा रहता था. वह काफी दानशील था. साथ ही तप, धर्म-कर्म में विश्वास रखता था. मांधाता नर्मदा नदी के तट पर राज करता था.
एक दिन राजा तपस्या के लिए जंगल में चले गए. वहां वह तपस्या में लीन होने के कारण उन्हें एहसास भी नहीं हुआ कि कब एक जंगली भालू आकर उनके पैर को चबाने लगा. जब एहसास हुआ फिर भी उन्होंने अपनी तपस्या भंग नहीं की. भालू उन्हें घसीटता हुआ जंगल के बीच ले गया.
अब राजा के मन में दहशत होने लगा और उन्होंने मन ही मन भगवान विष्णु से प्रार्थना की. ऐसे में भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए और भालू को मारकर राजा की जान बचा ली. हालांकि, तब तक भालू ने राजा के एक पैर खा लिए थे.
ऐसे में भगवान विष्णु ने राजा को सलाह देते हुए कहा कि तुम मथुरा चले जाओ. वहां मेरी वराह अवतार मूर्ति की आराधना करो और विधिपूर्वक वरुथिनी एकादशी व्रत रखो. ऐसा करने से तुम्हारे पुराने जन्म के पाप भी नष्ट होंगे और शरीर के अंग भी वापस हो जायेंगे. राजा ने ठीक उसी तरह किया. उसने विधि-विधान से वरुथिनी एकादशी का फलाहार व्रत रखा जिससे उसके शरीर वापस से पूर्ण हो गया और जीवन खुशहाली से भर गया. मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग नसीब हुआ. अतः जो भी वरुथिनी एकादशी व्रत रखता है उनके सारे पाप नष्ट होते हैं. साथ ही साथ स्वर्ग की प्राप्ति भी होती है.
Posted By: Sumit Kumar Verma