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Religion : शुरू होने वाला है गणेश उत्सव, जानिए क्या हैं विध्नहर्ता के पसंदीदा मिष्टान्न, जिनका चढ़ता है भोग

इसी महीने की सात तारीख से गणेश उत्सव शुरू होने वाला है. ऐसे में जानिए कि गणपति को कौन से मिष्टान्न इस दौरान भोग में चढ़ाये जा सकते हैं.

By Aarti Srivastava | September 5, 2024 6:07 PM

Religion : गणेश चतुर्थी भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है. यह सभी के मन में उत्साह व उमंग संचार करने वाला त्योहार है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आरंभ होकर दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का नाम सामने आते ही श्रद्धालुओं की भीड़, भगवान गणेश के सर्वाधिक पसंदीदा मिष्टान्न, ‘मोदक’ व ‘लड्डू’ की सुगंध और पूजा-अनुष्ठान से परिपूर्ण वातावरण आंखों के आगे झिलमिलाने लगते हैं. इस वर्ष सात सितंबर से इस पवित्र त्योहार की शुरुआत हो रही है, जो 17 सितंबर को गणपति विसर्जन के साथ समाप्त हो जायेगी. दस दिनों के इस पर्व के दौरान विधि-विधान के साथ पूजा-अनुष्ठान के साथ ही भगवान गणेश के पसंदीदा भोजन भी तैयार किये जाते हैं, जो उन्हें भोग के रूप में चढ़ाया जाते हैं.

भगवान गणेश को विशेष प्रिय हैं मोदक

माना जाता है कि मोदक भगवान गणेश का सबसे पसंदीदा मिष्टान्न, यानी मिठाई है. इन मीठे गुलगुलों के प्रति उनके विशेष प्रेम के कारण ही उन्हें शास्त्रों में मोदकप्रिय कहा गया है. इसी कारण गणेश चतुर्थी के पहले दिन भक्त उन्हें मोदक का भोग लगाते हैं. यह मीठा प्रसाद पारंपरिक रूप से चावल के आटे और गुड़ से बनाया जाता है. भाप से पकाये गये मोदक के अतिरिक्त, इन दिनों कई अन्य प्रकार के मोदक भी बनाये जाते हैं जैसे मेवे का मोदक, चॉकलेट मोदक, तला हुआ मोदक आदि.

लड्डू भी गणेश जी को है विशेष प्रिय

कहा जाता है कि भगवान गणेश को मोदक के साथ-साथ लड्डू भी बहुत पसंद हैं. विध्नहर्ता को गणेश उत्सव के दौरान लड्डू का भोग भी चढ़ता है. मोतीचूर के लड्डू भोग में चढ़ाने का चलन सबसे अधिक है. ये लड्डू अत्यंत स्वादिष्ट होते हैं. चाहे चित्र में हो या मूर्तियों में, गणेश भगवान के हाथों में अक्सर मोतीचूर के लड्डू ही दिखाई देते हैं, जो इन लड्डूओं के प्रति उनके अपार प्रेम को दर्शाते हैं. इस त्योहार के दौरान भगवान को भोग के लिए बनाये जाने वाले लड्डुओं में नारियल और तिल के लड्डू भी शामिल हैं. ये लड्डू भी अत्यंत स्वादिष्ट होते हैं.

इनके अतिरिक्त, गणेश जी को साटोरी, नारियल के चावल, श्रीखंड, केले का शीरा और पूरन पोली भी भोग के रूप में चढ़ायी जाती है.

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