Astrology: हमारी कुंडली में कई राजयोग होते है, जैसे पंचपुरुष महाराजयोग, रूचक राजयोग, शश राजयोग, भद्र राजयोग, हंस राजयोग, केंद्र त्रिकोण राजयोग, विपरीत राजयोग, नीचभंग राजयोग समेत अन्य शामिल है. राजयोग का तात्पर्य यह नहीं की आप राजा हो गए, इसके लिए सही समय पर दशा अंतर्दशा का मिलना भी होता है. यह ग्रहों के गोचर से भी एक्टिवेट होता है, लेकिन यह कुछ समय के लिए होता है, जिसे टेंपररी योग कहते है. आपने कुछ लोगों को देखा होगा जो कुछ समय के लिए प्रसिद्ध हो जाते है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल 2024 में बन रहे राजयोग में ज्योतिषीय उपाय कर लें तो आपका कष्टकारी समय समाप्त हो जाएगा.
राजयोग का अर्थ है आपको अवसर प्राप्त होना, जो आपने सोचा भी नहीं होगा की यह सब कैसे हो गया, इसी अवसर को आपको पकड़ना होता है और जब उस ग्रह की दशा होगी तो सबकुछ आसानी से होता चला जाएगा. राजयोग के समय जो भी कुछ आप सोच रहे होंगे वह आपके पक्ष में होगी. यही है दैवीय सहायता या राजयोग. यही राजयोग रंक से राजा बना देती है, लेकिन इस दौरान अपने कर्म सही रखना है, वरना इसके बाद जब शनि की दशा, अंतर्दशा या साढ़ेसाती या गोचर जब चलता है तो न्याय भी देता है. गुरु की दशा, अंतर्दशा और गोचर आपको इच्छा अनुसार फल देता है, यानी जो चाहे वो करो इसके पीछे शनि की दशा आती है जो सही और गलत का न्याय करती है, इसलिए राजयोग का मतलब यह नहीं की आप राजा बन गए. राजयोग का मतलब अवसर को सफलता में परवर्तित करना होता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कार्य क्षेत्र में समस्या आ रही है और जो किसी ग्रह विशेष की वजह से है और नकारात्मक फल दे रहे है तो उन ग्रहों के गुणों को अपनाने से उसके नकारात्मक फल को कम किया जा सकता है. जैसे शनि कर्म के कारक ग्रह है और शनि और चंद्रमा के कारण समस्या है तो चंद्रमा के करकत्व को अपनाए जैसे फूड, लिक्विड, ट्रैवलिंग, हीलिंग, जनता से जुड़ा काम. शनि और मंगल होने पर टेक्निकल कार्य, योग, इंजीनियरिंग, मेकेनिकल से जुड़ा कार्य करने में व्यक्ति सफल होता है. अगर आपके कुंडली में शनि और राहु की वजह से है राहु विदेश से जुड़ा कार्य, राजनीति, मल्टी नेशनल कंपनी से जुड़कर कार्य करें.
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जिन ग्रहों की वजह से परेशानी है उनके कारकत्वों को अपनाकर उसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है कार्यक्षेत्र में परेशानी खासकर शनि का चंद्रमा और केतु से संबंध बने रहने पर कार्य में स्थिरता नहीं रहती है और बार बार बदलाव करने पड़ते है. शनि का गोचर आपके लगन कुंडली में बुध पर से हो या बुध की अंतर्दशा आ जाए तो कभी कभी व्यक्ति व्यापार की तरफ भी चला जाता है. शनि का गोचर शनि पर से हो तो नया काम शुरू होने की संभावना होती है. गुरु का गोचर शुक्र पर से हो हो धन प्राप्ति की संभावना होती है. ऐसे ही गोचर भी जातक को कोई भी नया काम शुरू करवा देते है.
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लगन कुंडली में दशमेश को नवमांश कुंडली में देखे की वह किस ग्रह की राशि में है. उस ग्रह के अनुसार आपका कार्य क्षेत्र हो सकता है. जैसे लगन कुंडली में दशमेश चंद्रमा है और वह नवमांश ने बुध की राशि में है तो बुध से संबंधित जैसे बिजनेस, कम्युनिकेशन और शिक्षा, कंसल्टेंसी से संबंधित कार्य कर सकते है.
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दशमेश जिस नक्षत्र में है उसके नक्षत्र स्वामी के अनुसार या उसकी प्लेसमेंट के अनुसार कार्य कर सकते है, जैसे दशमेश चंद्रमा है और वह यदि अपने ही नक्षत्र में है तो चंद्रमा से संबंधित कार्य या उसकी स्थिति भाव के अनुसार कार्य कर सकते है.
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जिस ग्रह की दशा चल रही है उसके नक्षत्र स्वामी को देखे और उसकी स्थिति देखे उसके अनुसार आपका कार्य भी हो सकता है, जैसे यदि शनि की दशा है और यदि वह बुध के नक्षत्र में है और बुध सप्तम भाव में है तो बुध से संबंधित जैसे बिजनेस, दैनिक दिनचर्या से संबंधित लेनदेन आदि कार्य हो सकते है.
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ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करने से जीवन की हर परेशानी दूर की जा सकती है. ये उपाय करियर, नौकरी, व्यापार, पारिवारिक कलह सहित कई अन्य कार्यों में भी सफलता दिलाते हैं. नीचे दिए गए विभिन्न समस्याओं के निवारण के लिए आप एक बार ज्योतिषीय सलाह जरूर ले सकते है. यदि आपकी कोई ज्योतिषीय, आध्यात्मिक या गूढ़ जिज्ञासा हो, तो अपनी जन्म तिथि, जन्म समय व जन्म स्थान के साथ कम शब्दों में अपना प्रश्न radheshyam.kushwaha@prabhatkhabar.in या WhatsApp No- 8109683217 पर भेजें. सब्जेक्ट लाइन में ‘प्रभात खबर डिजीटल’ जरूर लिखें. चुनिंदा सवालों के जवाब प्रभात खबर डिजीटल के धर्म सेक्शन में प्रकाशित किये जाएंगे.