कल रखा जाएगा रोहिणी व्रत, दरिद्रता दूर करने में फायदेमंद

Rohini Vrat february 2025: जैन धर्म की परंपराओं के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रोहिणी व्रत का आयोजन किया जाता है. यह जैन धर्म के महत्वपूर्ण व्रतों और त्योहारों में से एक माना जाता है. यह विश्वास किया जाता है कि इस व्रत के पालन से साधक की समस्त कठिनाइयाँ समाप्त हो जाती हैं.

By Shaurya Punj | February 6, 2025 3:45 PM
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Rohini Vrat February 2025: जैन धर्म में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व होता है.यह पर्व हर महीने मे मनाने की मान्यता है. इस दिन साधक अपनी भक्ति भाव से भगवान वासुपूज्य स्वामी जी की पूजा-आराधना की जाती है,साथ ही उनके नियम अनुसार व्रत विधि करते है.धार्मिक मान्यता है कि रोहिणी व्रत पर भगवान वासुपूज्य स्वामी जी की पूजन करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति पुर्ण होती है.वहीं विवाहित महिलाएं सुख- समृधि और सौभाग्य में वृद्धिसाथ ही पति की लंबी आयु के लिए रोहिणी व्रत के तिथि पर उपवास रखती हैं,और नवविवाहित महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए रोहिणी व्रत को करती हैं. इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों शांति की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलती है.

रोहिणी व्रत के तिथि पर शुभ योग

ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार पौष माह के तिथि पर रोहिणी व्रत के दिन शुक्ल योग और ब्रह्म योग का संयोग बन रहे है. शुक्ल योग दोपहर तक ही होगा. वहीं, ब्रह्म योग रात भर रहेगा.साथ ही इस योग में भगवान वासु स्वामी जी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य और संतान प्राप्ति,धन मे वृद्धि होगी. साथ ही मनोवांछित शुभ फल की प्राप्ति होगा, इसके साथ ही रोहिणी व्रत पर शिववास योग का भी संयोग रहेगा. इस अवसर के दिन पर महादेव कैलाश और नंदी महराज पर विराजमान रहते है.

रोहिणी व्रत का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के मुताबिक, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन 07 फरवरी 2025 को रोहिणी व्रत मनाया जाएगा.इस शुभ तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक है,साथ ही पूरी रात इसका शुभ मुहूर्त होगा. वहीं साधक सुविधा के हिसाब से अपने समय अनुसार परमपूज्य भगवान वासु स्वामी जी की पूजा- आराधना भी कर सकते हैं. रोहिणी व्रत त्रयोदशी तिथि में मनाना शुभ होगा.

वासुपूज्य स्वामी जी की आरती

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी
पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी
चंपापुर नगरी भी स्वामी, धन्य हुई तुमसे
जयरामा वसुपूज्य तुम्हारे स्वामी, मात पिता हरषे
बालब्रह्मचारी बन स्वामी, महाव्रत को धारा
प्रथम बालयति जग ने स्वामी, तुमको स्वीकारा
गर्भ जन्म तप एवं स्वामी, केवलज्ञान लिया
चम्पापुर में तुमने स्वामी, पद निर्वाण लिया
वासवगण से पूजित स्वामी, वासुपूज्य जिनवर
बारहवें तीर्थंकर स्वामी, है तुम नाम अमर
जो कोई तुमको सुमिरे प्रभु जी, सुख सम्पति पावे
पूजन वंदन करके स्वामी, वंदित हो जावे
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी
पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी

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