Rudraksha Niyam: हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है. मान्यता के अनुसार भगवान शिव के आंसुओं से रुद्राक्ष बना है, इसलिए सृष्टि में इससे सबसे ज्यादा पवित्र माना गया है और ये भगवान शिव का सबसे प्रिय भी है. मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने वाले लोगों पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है. इसलिए ज्यादातर शिव भक्त रुद्राक्ष धारण करते हैं. रुद्राक्ष पहनने से ना सिर्फ धार्मिक लाभ मिलता है बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माना जाता है.
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन सभी रुद्राक्षों की अपनी एक अलग मान्यता है. ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने से सभी कष्ट दूर होते हैं. दुनिया में रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं. जिनकी अपने अलग-अलग महत्व और खासियत है. माना जाता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष को नियम और विधि के अनुसार पहनता है वह हर तरह के संकटों से दूर रहता है और कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी सही रहती है. आइए जानते हैं रुद्राक्ष धारण करने के नियम, फायदे साथ ही ये जानेंगे कि किन लोगों को रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए…
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इसे धारण करने से शारीरिक समस्याएं दूर हो जाती हैं.
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ह्रदय रोग से पीड़ित लोगों को रुद्राक्ष पहनने के कई लाभ, ये बात वैज्ञानिक भी सिद्ध कर चुके हैं.
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रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर महालक्ष्मी की कृपा रहती है और जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है.
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रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है, साथ ही वो भाग्य भी साथ देता है.
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शिव मंदिर में एक ब्राह्मण पंडित से अभिषेक प्राण प्रतिष्ठा रुद्राक्ष और फिर प्राण प्रतिष्ठा पूजा के बाद अप्रत्याशित रूप से अपने उत्तेजित रुद्राक्ष को पहनें.
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इससे पहले कि आप पहली बार अपनी रुद्राक्ष की मनके की माला पहनें, मंत्रों को पवित्र लेखन में निर्धारित करने की विधि का पालन करें.
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जब आप उर रुद्राक्ष (उसकी पूजा के बाद) को हटाते हैं या पहनते हैं तो ओम-नमः-शिवाय को कम से कम 3 बार या 11 बार जरूर जाप करें.
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रुद्राक्ष को कभी भी गंदे हाथ से न छुएं
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रुद्राक्ष को कभी भी सूचक उंगलियों से न छुएं
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यदि दुर्भाग्य से आप अपने रुद्राक्ष को गंदे से छूते हैं, तो रुद्राक्ष पर कुछ मात्रा में गंगाजल डालें और क्षमा मांगें और भगवान शिव से क्षमा मांगें और फिर रुद्राक्ष को शिव की तस्वीर या शिवलिंग पर स्पर्श करें और फिर इसे धारण करें.
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शिवरात्रि, नवरात्रि, महाशिवरात्रि और ग्रहण इस अभिमंत्रित रुद्राक्ष को धारण करने का शुभ और अनुकूल समय है.
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दुर्भाग्य से आप अपना रुद्राक्ष धारण नहीं करते हैं तो इसे पूजा स्थान पर एक छोटे से डिब्बे में रख दें और हर दिन ओम-नमः-शिवाय जाप के साथ नमस्कार करें
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रुद्राक्ष हमेशा अपने पैसे से खरीदें, दूसरों के पैसे से नहीं, या जब आप रुद्राक्ष प्राण प्रतिष्ठा के बाद पंडित जी को दक्षिणा दें, यदि आपको नकद प्राप्त हो जाता है, तो सुनिश्चित करें कि आप उस पैसे को वापस कर दें जो आपने रुद्राक्ष के लिए उपयोग किया था.
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वर्ष में एक बार महा शिवरात्रि या शिवरात्रि पर अपनी रुद्राक्ष की माला / माला को अपनी प्राण प्रतिष्ठा पूजा के माध्यम से पुनः प्राप्त करें.
बच्चे के जन्म के बाद सूतक काल समाप्त होने तक उसे रुद्राक्ष उतार देना चाहिए. इसके अलावा रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को जहां नवजात शिशु और उसकी मां हो, उस स्थान पर प्रवेश नहीं जाना चाहिए. अगर किन्ही कारणों से उसे वहां जाना भी पड़े तो पहले रुद्राक्ष उतार देना चाहिए.
मांसाहार का सेवन करने वाले व्यक्ति या सेवन करने से पहले रुद्राक्ष उतार द करने वाले व्यक्ति को रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि मांसाहार करने से रुद्राक्ष अशुद्ध हो जाता है, जिसके कारण भविष्य में कष्ट उठाने पड़ते हैं.
सोते समय रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए, सोने से पहले उतार कर अपने तकिए के नीचे रख सकते हैं. ऐसा करने से आपको बुरे सपने नहीं आएंगे.