20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सद्गुरु ज्ञान : वास्तुदोष गृहसुख छीन कर जीवन छिन्न-भिन्न कर देता है

कर्ज सुरसा की तरह मुंह फाड़ कर जीवन अस्त-व्यस्त कर देती है. भाइयों से संबंध खराब हो जाते हैं. दोस्त दुश्मनों-सा आचरण करने लगते हैं.

धरती उन पंच तत्वों में से एक है, जिनसे हमारी देह निर्मित है, ऐसा आध्यात्मिक मान्यतायें कहती हैं. शरीर में इस तत्व के असंतुलन से भौतिक संसाधनों की कमी हो जाती है. कर्ज सुरसा की तरह मुंह फाड़ कर जीवन अस्त-व्यस्त कर देती है. भाइयों से संबंध खराब हो जाते हैं. दोस्त दुश्मनों-सा आचरण करने लगते हैं. वास्तुदोष गृहसुख छीन कर जीवन छिन्न-भिन्न कर देता है.

मां से संबंध बिगड़ जाते हैं. इस तत्व को संतुलित करने के लिए प्रातः भूमि को प्रणाम करें. देह, घर और आसपास की जगहों को स्वच्छ रखें. नित्य सड़क पर गिरे कूड़े-कचरे को कूड़ेदान में डालें. किसी धार्मिक या सामाजिक जगह पर साफ-सफाई करें.

प्रेरक संदेश

थापिआ न जाइ कीता न होइ ।

आपे आपि निरंजनु सोइ ।।

अर्थात् : गुरु नानक जी कहते हैं कि ईश्वर निराकार है, वह अजन्मा, निराकार, मायातीत तथा अनंत है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें