आज परमहंस योगानंद (पांच जनवरी 1893- सात मार्च 1952) का जन्मदिवस है. परमहंस योगानंद 20वीं सदी के एक आध्यात्मिक गुरु, योगी और संत थे़ दुनिया को क्रिया योग का ज्ञान दिया और इसका प्रसार किया़ योगानंद के अनुसार क्रिया योग ईश्वर से साक्षात्कार की एक प्रभावी विधि है, जिसके पालन से जीवन को संवारा और ईश्वर की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है़
परमहंस योगानंद पहले भारतीय गुरु थे, जिन्होंने अपने जीवन के कार्य को पश्चिम में किया़ 1920 में अमेरिका के लिए प्रस्थान किया़ पूरे अमेरिका की यात्राएं की. इसके पहले 1918 से 1920 तक रांची स्थित मुख्य आश्रम में रहे. परमहंस योगानंद के जन्म दिवस पर पढ़िये राजीव पांडेय की विशेष प्रस्तुति.
जन्म- 5 जनवरी 1893
शरीर त्याग- 7 मार्च 1952
17 साल की उम्र में वर्ष 1910 में स्वामी श्रीयुक्तेश्वर जी से मिले
वर्ष 1915 में कलकत्ता विवि से स्नातक की उपाधि ली और संन्यास लिया
वर्ष 1917 में ‘आदर्श जीवन’ विद्यालय की स्थापना की
1935-36 में परमहंस योगानंद यूरोप व मध्य पूर्व के देशाें की यात्रा कर भारत वापस लौटे
परमहंस योगानंदजी ने 1917 में रांची में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया की स्थापना की
वर्ष 1920 में भारत के पवित्र राजयोग को पश्चिम ले गये व लॉसएंजिल्स, कैलिफोर्निया में सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप की स्थापना की
योगानंद का जन्म पांच जनवरी वर्ष 1893 को गोरखपुर में बंगाली परिवार में हुआ था. बचपन का नाम मुकुंद घोष था. वह भारत में योगदा सत्संग सोसाइटी की स्थापना वर्ष 1917 में ही कर चुके थे. वर्ष 1920 में उन्हें रांची योगदा सत्संग आश्रम में ध्यान के दौरान अमेरिका के लोगों को देखा और वहां तक राजयोग को पहुंचाया. अमेरिका के धार्मिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया. आज से 100 साल पहले वर्ष 1920 में परमहंस जी ने अमेरिका के अपने शिष्यों व छात्रों को क्रिया योग के प्रशिक्षण की शुरुआत की, जो आज पूरी दुनिया में फैल चुका है.
महात्मा गांधी व योगानंद जी में काफी समानता है, इसलिए योगानंद जी गांधीजी का सम्मान किया करते थे. गांधीजी की लीडरशिप हमेशा स्वामी जी को प्रभावित किया करती थी. विचारों में मेल के कारण ही स्वामी जी ने महात्मा गांधी से वर्धा में मुलाकात की. आध्यात्मिक मूल्यों को समाज तक पहुंचाने में क्रिया योग की महत्ता पर विचार किया.
देश और विदेश के बड़े स्टार भी योगानंद जी के फॉलोअर्स हैं. इसमें भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विरोट कोहली, फिल्म स्टार रजनीकांत जैसे फॉलोअर्स शामिल हैं. इन्होंने योगानंद जी की प्रसिद्ध पुस्तक “योगी कथामृत” को अपने जीवन में आत्मसात किया. विदेश के प्रसिद्ध लोगों में स्टीव जॉब्स, म्युजिक ग्रुप बीटल्स के जार्ज हैरीशन व एल्वीस प्रेसली शामिल थे, जिसे स्वामी योगानंद ने काफी प्रभावित किया था. स्टीव जॉब्स ने अपने चाहने वालों को जीवित रहते ही कह दिया था कि जब उनकी मौत हो जाये अौर क्रियाक्रम में आने वाले सभी को गिफ्ट में “योगी कथामृत” की पुस्तक दी जाये. उनके चाहनेवालों ने प्रत्येक व्यक्ति को यह पुस्तक भेंट की.
भारत सरकार ने स्वामी योगानंदजी पर दो बार डाक टिकट जारी किया है. पहली बार डाक टिकट वर्ष 1977 में जारी किया गया था. दूसरी बार वर्ष 2017 में डाक टिकट जारी किया गया था. दोबारा डाक टिकट योगदा आश्रम के 100 वर्ष पूरे होने पर जारी किया गया था.
इसके अलावा वित्त मंत्रालय द्वारा अक्तूबर 2019 में 125 रुपये का सिक्का भी जारी किया गया है. इसे वित्त मंत्री ने जारी किया था.
योगानंदजी की विश्व विख्यात आत्मकथा ‘योगी कथामृत’ का 75 वर्षों में दुनिया की 50 भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है. यह पुस्तक आध्यात्मिक साहित्य में बेस्ट-सेलर साबित हो चुकी है. इससे प्रतीत होता है कि मानव जीवन मेें इनकी कितनी ज्यादा प्रासंगिकता है.
योगानंद जी ने पूरब से पश्चिम तक लोगों को क्रिया योग और आध्यात्मिक ज्ञान से प्रभावित किया है. अमेरिका के लाॅस एंजलिस में 1952 में जब योगानंद जी ने अपने शरीर का त्याग किया, तो तीन सप्ताह तक भक्तों के दर्शन के लिए उनका शरीर रखा गया. इस दौरान उनके शरीर पर किसी प्रकार की विकृति नहीं दिखायी दी़
21 जून 2020 को योग दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रियायोग का वर्णन किया. कोरोना काल में यौगिक क्रिया की महत्ता बतायी. उन्होंने स्पष्ट किया कि क्रिया, आसन, प्राणायाम, बंद व मुद्रा से अपने शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है. श्वसन क्रिया के लिए प्राणायाम सबसे महत्वपूर्ण है. योग से मनुष्य का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उसकी प्रतिरक्षण क्षमता भी बढ़ती है.
योगानंद जी पर हिंदी व अंग्रेजी में कई पुस्तकों को प्रकाशन हुआ है. योगानंद जी ने स्वयं ही कई पुरस्कों का लेखन किया है. उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में हिंदी में ‘योगी कथामृत’ व अंग्रेजी में ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ योगानंद’ प्रमुख है. मुख्य पुस्तकों में ईश्वर ‘अर्जुन संवाद’ व ‘मानव की निरंतर खोज’ भी शामिल है.
वहीं सफलता का नियम, धर्म विज्ञान सहित कई पुस्तकों को स्वामी ने लिखा है. योगानंद जी ने अंग्रेजी में 50 से ज्यादा पुस्तकों का लेखन किया है. देश के अलावा विदेशों में भी योगानंद जी की कई पुस्तकों की डिमांड है. अध्यात्म की पुस्तकों में सबसे ज्यादा पुस्तक योगानंद जी पर आधारित है.
Posted by: Pritish Sahay