Sakat Chauth 2021, Sankashti Chaturthi, Vrat, Puja Vidhi, Importance, Arghya Vidhi, Shubh Muhurat: जनवरी माह का अंतिम धार्मिक पर्व आज पड़ा है. जिसे सकट चौथ या गणेश चतुर्थी व्रत भी कहा जाता है. इसे हिंद भाषी राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व हर महीने की चतुर्थी तिथि को पड़ती है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है. इसे संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) व्रत भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में इसका अपना ही महत्व होता है. आइये जानते हैं इस पर्व का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…
हिंदू पंचांग की मानें तो माघ मास की संकष्टी चतुर्थी को तिलकुटा या माही चौथ व वक्रतुंडी चतुर्थी भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जबतक चंद्र देव को अर्घ्य नहीं दें तो व्रत पूरा नहीं होता.
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इस व्रत को रखने वालों के संतान दीर्घायु होते हैं.
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संतान को लंबी उम्र की प्राप्ति होती है साथ ही साथ वे निरोग जीवन व्यतित करते हैं.
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यही नहीं इस व्रत को करने वालों के ग्रह-नक्षत्र मजबूत स्थिति में होते है.
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इस व्रत को करके आप अपने कुंडली में अशुभ प्रभावों को कम कर सकते हैं.
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इस व्रत से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और मांगलिक कार्य भी होते हैं.
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इस मामले के जानकारों की मानें तो इस पूजा से केतु के बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है.
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व्रत तिथि: रविवार, 31 जनवरी 2021
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शुभ मुहूर्त समय: 31 जनवरी, 2021 रात के 8 बजकर 24 मिनट से
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अर्घ्य देने का शुभ समय: रात 8 बजकर 40 मिनट पर
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शुभ मुहूर्त का अंतिम समय: 1 फरवरी, 2021 शाम 6 बजकर 24 मिनट तक
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31 जनवरी को सुबह जल्दी उठे, स्नान करके, साफ कपड़े पहनें.
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मिट्टी की मुर्ति या भगवान गणेश की तसवीर को पवित्र गंगा जल से स्नान करावाएं.
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फिर भगवान गणेश की पूजा करें.
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सूर्यास्त के बाद फिर से स्नान कर लें या गंगा जल से छिड़काव करके, स्वच्छ वस्त्र पहन लें.
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गणेश जी की मूर्ति के पास कलश में जल भर दें
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उन्हें धूप-दीप, नैवेद्य, तिल, लड्डू, शकरकंद, अमरूद, गुड़ आदि चढ़ाएं.
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सूर्यास्त के बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है. ऐसे में उन्हें अर्घ्य देने के बाद ही व्रत तोड़ें. इसके लिए आपको शहद, रोली, चंदन और दूध की जरूरत पड़ेगी. व्रत तोड़ने के बाद महिलाओं का शकरकंदी खाने की परंपरा भी है.
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Posted By: Sumit Kumar Verma