कल मनाया जाएगा सकट चौथ, गणेश जी को जरूर अर्पित करें ये चीजें

Sakat Chauth 2025: इस वर्ष सकट चौथ 17 जनवरी को मनाई जाएगी. ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के अनुसार, सकट चौथ के दिन भगवान श्री गणेश को कुछ विशेष वस्तुएं अर्पित करना आवश्यक है, जिससे श्री गणेश की कृपा प्राप्त होती है और अन्य लाभ भी मिलते हैं.

By Shaurya Punj | January 16, 2025 8:14 AM

Sakat Chauth 2025: हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि का अत्यधिक महत्व है. इस दिन भगवान श्रीगणेश की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का व्रत मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन विघ्नहर्ता की पूजा करने, चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करने और व्रत रखने से जीवन में शुभता का संचार होता है और विघ्न-बाधाएं समाप्त होती हैं. यहां हम बताने जा रहे हैं कि सकट चौथ के दिन भगवान विष्णु को किन चीजों को अर्पित करना चाहिए.

कब है सकट चौथ

सकट चौथ को संकट चौथ, तिलकुट चौथ, माघी चौथ या वक्रतुण्डी चौथ के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष सकट चौथ 17 जनवरी 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा.

इसलिए रखा जाता है सकट चौथ का व्रत

सकट चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त

सकट चौथ पर चतुर्थी तिथि 17 जनवरी 2025 को सुबह 04:06 बजे से प्रारंभ होकर 18 जनवरी 2025 को सुबह 05:30 बजे समाप्त होगी.

सकट चौथ के दिन चंद्रमा का उदय समय

सकट चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ माना जाता है. यह मान्यता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. द्रिक पंचांग के अनुसार, सकट चौथ के दिन चंद्रमा रात 09:09 बजे प्रकट होगा.

गणेशजी को सकट चौथ के दिन अर्पित करें ये चीजें

  • पीला रंग भगवान गणेश के लिए अत्यंत प्रिय माना जाता है और इसे समृद्धि, सुख, और शुभता का प्रतीक माना जाता है. यह रंग सूर्य की ऊर्जा को दर्शाता है, जो जीवन में शक्ति और उत्साह का संचार करता है. इसलिए, घर और संतान के जीवन में सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए सकट चौथ के दिन श्री गणेश को पीले वस्त्र अर्पित करना चाहिए.
  • इस दिन गणेश जी को तिल से बनी वस्तुएं और मौसमी फल अर्पित करने की परंपरा है. कहा जाता है कि सकट चौथ पर गणेश जी की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
  • यह ध्यान रखना आवश्यक है कि गणपति को कभी भी तुलसी के पत्ते अर्पित नहीं करने चाहिए. इस दिन तिल से बकरा बनाया जाता है और संतान द्वारा सिक्के से इसे काटा जाता है.

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