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समुद्र शास्त्र : शरीर के ये निशान बताते हैं आपके धनवान होने के लक्षण…

सामुद्रिक शास्त्र samudra shastra इंसानों के शरीर के बनावट और शरीर में मौजूद कई निशानों के आधार पर किसी पुरुष या स्त्री के जीवन का भाग्य और उसके अनुसार बन रहे संयोगों के बारे में बताता है.आज जानते हैं शरीर के उन भागों व निशानों के बारे में जो आपके जीवन मे धन से संबंधित होता है.यानी कि आपके भाग्य में धनवान होना लिखा है या नही.

सामुद्रिक शास्त्र samudra shastra इंसानों के शरीर के बनावट और शरीर में मौजूद कई निशानों के आधार पर किसी पुरुष या स्त्री के जीवन का भाग्य और उसके अनुसार बन रहे संयोगों के बारे में बताता है.आज जानते हैं शरीर के उन भागों व निशानों के बारे में जो आपके जीवन मे धन से संबंधित होता है.यानी कि आपके भाग्य में धनवान होना लिखा है या नही.

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समुद्रशास्त्र में श्लोकों के जरिए बताया गया है कि..

अंगुष्ठयवैराढयाः सुतवन्तोगुंष्ठमूलगैश्च यवैः।

दीर्घागंलिपवार्ण सुभगो दीर्घायुषश्चैव।।

अर्थ : जिस व्यक्ति के हथेली के अंगूठे में यव का चिन्ह हो वह धनवान होता है ,उसे धन संपत्ती की कमी नहीं रहती है. वहीं जिस व्यक्ति के हथेली के अंगूठे के मूल में यव का चिन्ह हो उसे पुत्र का मजबूत संयोग रहता है.जिस व्यक्ति के अंगुलियों के पर्व लम्बे हो, वो व्यक्ति काफी भाग्यशाली व दीर्घायु होता है.

स्निगधा नित्ना रेखा र्धाननां व्यव्ययेन निःस्वानाम्।

विरलागंलयो निःस्वा धनसज्जायिनो घनागंलयः।।

अर्थ : धनी मनुष्यों के हाथ की रेखायें काफी चिकनी और गहरी होती है, दरिद्रों के हाथ की रेखा इससे ठीक विपरीत होती है.छोटी अंगुलियों वाले पुरूषों को धन का अभाव रहता है और घनी अंगुलियों वाला व्यक्ति धन का संचय करने वाला होता है.

चक्रासि-परशु-तोमर-शक्ति-धनुः-कुन्तासन्निभा रेखा।

कुर्वन्ति चमूनार्थं यज्वानमुलूखलाकारा।।

अर्थ : जिस व्यक्ति के हाथ में चक्र, तलवार, फरसा, तोमर, शक्ति, घनुष और भाले की जैसी रेखायें हो तो वह सेना, पुलिस आदि विभागों में उच्च पदों पर आसीन होने का संयोग रखते हैं. वहीं जिस व्यक्ति के हाथ में ओखरी के समान रेखा हो , वह पुरूष विधिपूर्वक यज्ञ करने वाला होता है.

मकर-ध्वज-कोष्ठागार-सन्निभार्भर्महाधनोपेताः।

वेदीनिभेन चैवाग्रिहोत्रिणो ब्रम्हतीर्थम।।

अर्थ : जिस व्यक्ति के हाथ में मकर,ध्वज, कोष्ठ और मन्दिर के चिन्ह जैसी विशेष रेखायें हो तो वह व्यक्ति काफी धनी होता है और ब्रम्हतीर्थ अथवा जिनके अंगुठे के मूल में वेदी के समान कोई चिन्ह हो तो, वह व्यक्ति अग्निहोत्री ( हवन करनेवाला ) होता है.

वापी-देवगृहाद्यैर्धर्मं कुर्वन्ति च त्रिकोणाभिः।

अंगुष्ठमूलरेखाः पुत्राः स्युर्दारिकाः सूक्ष्मा।।

अर्थ : यदि किसी जातक के हाथ में बावली, देव मंदिर अथवा त्रिकोण का चिन्ह हो तो, वह मनुष्य धर्मात्मा होता है और जिसके अंगूठे के मूल में मोटी रेखायें हों उसे पुत्र सुख प्राप्त होता है. वहीं अगर यह रेखा छोटी हों तो पुत्री सुख प्राप्त होता है.

– जिस स्त्री या पुरुष के पैर में पहिए या चक्र के अलावा कमल, बाण,रथ या सिंहासन जैसा निशान होता है,उसे पूरे जीवन भूमि-भवन जैसी सुख-सुविधाएं मिलती हैं.

जिस व्यक्ति की हथेली के बीचोबीच कोई तिल होता है, वह बेहद धनवान होता है और समाज में वह सम्मान पाता है. जिन लोगों के पैरों के तलवे पर तिल, चंद्रमा या वाहन जैसा दिखने वाला निशान होता है, उन्हें कई तरह के वाहनों का सुख मिलता है और वह विदेशों की यात्रा करने का भी संयोग प्राप्त करते है.

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