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Sankashthi Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से गणेश जी सभी कष्टों से करते हैं मुक्त, जानें इसके बारे में प्रचलित कहानी

Sankashthi Chaturthi 2024: आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. यहां जानें ज्योतिषशास्त्री डॉ श्रीपति त्रिपाठी से संकष्टी चतुर्थी के बारे में विस्तार से

By Shaurya Punj | September 20, 2024 8:32 AM

Sankashthi Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी, भगवान गणेश की उपासना का एक विशेष दिन है. इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार की बाधाओं और संकटों से मुक्ति मिलती है. इसे विशेष रूप से संकटों के निवारण के लिए माना जाता है. भक्त इस दिन उपवास करते हैं और रात में चंद्रमा की पूजा करते हैं. जानें ज्योतिषशास्त्री डॉ श्रीपति त्रिपाठी जी से संकष्टी चतुर्थी के बारे में विस्तार से

जानें संकष्टी चतुर्थी के बारे में प्रचलित कहानी

एक समय की बात है, एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी बहुत दुखी थे. उनकी आर्थिक स्थिति खराब थी और संतान का भी कोई योग नहीं था. उन्होंने गणेश जी की आराधना करने का निर्णय लिया. संकष्टी चतुर्थी के दिन उन्होंने व्रत रखा और पूरे दिन भगवान गणेश की पूजा की. रात में चंद्रमा का दर्शन कर उन्होंने भगवान से प्रार्थना की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उन्हें सभी कष्टों से मुक्त कर दिया और एक पुत्र का आशीर्वाद दिया.

Sankashti Chaturthi 2024: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का ये है शुभ मुहूर्त, जानें महत्व

संकष्टी चतुर्थी किस दिन है ?

संकष्टी चतुर्थी 21 सितंबर को मनाई जाएगी. इस दिन उपवास करने और गणेश जी की पूजा करने का विशेष महत्व है.

संकष्टी चतुर्थी का क्या महत्व है ?

संकष्ट चतुर्थी का महत्व बहुत बड़ा है, खासकर भगवान गणेश की आराधना के लिए. यह दिन विशेष रूप से चंद्रमा की पूजा का होता है. संकष्ट चतुर्थी का व्रत रखने से सभी संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त क्या है ?

तिथि: 20/21 सितंबर 2024 (शुक्रवार/शनिवार )
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 20 सितंबर 2024 को रात्रि 01:26 बजे से
चतुर्थी तिथि समाप्त:21 सितंबर 2024 को सुबह 11:11 बजे तक

इस दिन चंद्रमा को देखना और उसका पूजन करना विशेष फलदायी माना जाता है. व्रति को रात्रि को चंद्रमा की पूजा करके उसकी आरती करनी चाहिए.

संकष्टी चतुर्थी पर उपाय और पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें.
भगवान गणेश की प्रतिमा को सजाएं.
फल, मोदक, और नारियल का भोग अर्पित करें.
चंद्रमा का दर्शन करने के बाद व्रत का पारण करें.
संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखने से सभी संकटों का निवारण होता है और सुख-समृद्धि का वास होता है.

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