Sankashti Chaturthi 2020: सकंष्टी चतुर्थी व्रत आज है. भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए सकंष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के दिन व्रत कर पूजा-अर्चना की जाती है. सकंष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने का विधान है, हर महीने में संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है, लेकिन ज्येष्ठ माह में आने वाली संकष्टी का विशेष महत्व माना गया है, इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा कर रात को चंद्रमा के दर्शन किये जाते हैं. हिन्दू धर्म में पार्वती के पुत्र गणेश जी (Ganesha Ji) को पूज्यनिय माना जाता है. कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश जी की आराधाना की जाती है. गणेश जी संकट मोचन विघ्नहर्ता है. कोई भी परेशानी अड़चन भगवान गणेश की आराधना करने से दूर हो जाती है. भगवान गणेश जी का व्रत बहुत ही फलदायी होता है. यह प्रत्येक महीने की चतुर्थी को किया जाता है. अब 10 मई 2020 को ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी यानि सकंष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat) है. इस दिन जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा या व्रत रखता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है.
गणेश भगवान प्रथम पूजनीय देव हैं. भगवान श्रीगणेश की आराधना में फूलों का काफी महत्व है. गणपति जी को दूर्वा अधिक प्रिय है. अतः श्रीगणेश का पूजन करते समय उन्हें सफेद या हरी दूर्वा चढ़ाना चाहिए. दूर्वा की फुनगी में तीन या पांच पत्ती होना चाहिए. जिससे भगवान गणेश प्रसंन होते है. भगवान गणेश जी को तुलसी का पत्ता नहीं चढ़ायी जाती है. हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है. आमतौर पर हर तरह की पूजा में तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल जरूर होता है. हालांकि, ध्यान रखें कि भगवान गणेश की पूजा में इसका इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करें. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपकी पूजा असफल रह जाएगी. श्रीगणेश की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल वर्जित है और इसलिए इसे भूलकर भी गणेश जी पर नहीं चढ़ाएं.
गणेश जी की पूजा करने अपार धन और समृद्धि मिलता है. (Sankashti Chaturthi Vrat) सकंष्टी चतुर्थी के दिन व्यक्ति सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना होता है, इसके बाद पूरा दिन उपवास रखना होता है. नियमित की पूजा पूर्ण होने के बाद अपने आसन पर पूर्व की तरफ मुख कर बैठ जाएं. अपने हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें. भगवान गणेश से उनकी कृपा दृष्टि प्रदान करने के लिए प्रार्थना करें और शाम की पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है. जो लोग पूरा दिन उपवास करने में सक्षम नहीं है, वे जल के साथ फल का सेवन करें.
शाम के समय चांद निकलने के बाद चांद की पूजा की जाती है. चांद निकलने के बाद में जिस लोटे में सामने कथा सुनी है उस लोटे का जल और अनाज के साथ में चंद्रमा को अर्घ देना है और जो भी निमित या आपने बनया हो उसका भोग लगाकर और अर्घ देकर व्रत पूर्ण करना है. इसके बाद मे आप भोजन ग्रहण कर सकते हैं. इस दिन गणेश भगवान की कथा सुननी चाहिए. आप पंचांग के हिसाब से चांद की दिशा में पूजा अर्चना और अर्घ अर्पित कर सकते हैं. आपको स्वच्छ आसन पर बैठकर गणेश का ध्यान करते हुए भगवान गणेश का मंत्र ऊँ गणेशाय् नम: मंत्र का एक माला जाप करें और सामर्थ के अनुसार दान दें.