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Sankashti Chaturthi 2024: फाल्गुन मास का संकष्टी चतुर्थी व्रत क्यों है इतना खास, जानें कैसे करें भगवान गणेश की पूजा

Sankashti Chaturthi 2024: फाल्गुन मास की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति, विघ्नों का नाश, मनोकामनाओं की पूर्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है.

By Radheshyam Kushwaha | February 27, 2024 11:51 AM
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Sankashti Chaturthi 2024: सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का अधिक महत्व है. संकष्टी चतुर्थी का पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. यह व्रत भगवान गणेश और चंद्रमा को समर्पित है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति, विघ्नों का नाश, मनोकामनाओं की पूर्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है, इसके साथ ही जीवन की सभी परेशानियों से निजात मिलती हैं.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त

फाल्गुन मास की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत 28 फरवरी को रात 01 बजकर 53 मिनट पर होगी और इसके अगले दिन यानी 29 फरवरी को सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर तिथि का समापन होगा. उदयातिथि के अनुसार 28 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी, इस दिन बुधवार है. बुधवार का दिन गणेशजी को समर्पित है. संकष्टी चतुर्थी और बुधवार दिन का संयोग बन रहा है, इस दिन बप्पा के छठे स्वरूप द्विजप्रिय गणेश की पूजा करने का विधान है.

Sankashti Chaturthi 2024: कब है फाल्गुन मास की संकष्टी चतुर्थी? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त-पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें.
  • भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें.
  • भगवान गणेश को तिलक लगाएं, दुर्वा, जल, चावल, जनेऊ अर्पित करें.
  • गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं.
  • इस दिन तिल से बनी हुई चीजों का भोग जरूर लगाएं.
  • धूप और दीया जलाकर भगवान गणेश के मंत्रों का जप करें.
  • सकट चौथ की कथा का जाप भी करना चाहिए.
  • गणेशजी के 12 नामों का उच्चारण भी करना चाहिए.
  • शाम के समय भी इसी तरह भगवान गणेश की पूजा करें.
  • भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करें.
  • पूजा के अंत में भगवान गणेश सहित सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें.
  • पूजा समाप्त होने के बाद लोगों में प्रसाद का वितरण करें.

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से जहां सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, वहीं इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति भी होती है, इस दिन तिल दान करने का महत्व होता है, इस दिन गणेशजी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत सुख समृद्धि प्रदान करने वाला व्रत माना जाता है, इस व्रत को रखता है उसके जीवन में सुख, शांती और समृद्धि की प्राप्ति होती है, जीवन में आ रहीं सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. इस दिन प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है.

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