Santan Saptami 2024: आज है संतान सप्तमी, जानें व्रत कथा, महत्व, पूजा विधि और नियम

Santan Saptami 2024: आज संतान सप्तमी मनाया जा रहा है. संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. जानें क्या है व्रत विधि और इसका महत्व

By Shaurya Punj | September 10, 2024 7:13 AM

Santan Saptami 2024:  संतान सप्तमी व्रत का हिंदू भक्तों के बीच बहुत महत्व है. हिंदू विवाहित महिलाएं अपने बच्चों की भलाई के लिए इस शुभ दिन पर व्रत रखती हैं. यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है. संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. आज 10 सितंबर को संतान सप्तमी को ये त्योहार मनाया जाता है.

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संतान सप्तमी का शुभ मुहूर्त

आज का अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में संतान सप्तमी की पूजा करना बहुत ही शुभ रहेगा.

संतान सप्तमी व्रत का महत्व

संतान सप्तमी का बहुत महत्व है क्योंकि यह व्रत संतान की खुशहाली और दीर्घायु के लिए किया जाता है. पति-पत्नी दोनों ही इस व्रत को रखते हैं और देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं. हर विवाहित महिला संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती है.

संतान सप्तमी व्रत कथा

एक बार अयोध्यापुरी के राजा नहुष की पत्नी चंद्रमुखी और विष्णुदत्त नामक ब्राह्मण की पत्नी रूपवती एक ही क्षेत्र में रहती थीं और दोनों अच्छी सहेलियाँ थीं. एक दिन वे दोनों सरयू नदी में स्नान करने गईं, जहाँ उन्होंने कई महिलाओं को भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा करते देखा. पूछने पर उन्हें पता चला कि वे संतान सप्तमी का व्रत कर रही हैं. उन दोनों ने भी यही व्रत रखा और संतान की कामना की. लेकिन घर वापस आने के बाद वे दोनों व्रत के बारे में भूल गईं. श्राप के कारण उनकी मृत्यु हो गई और अगले जन्म में रानी बंदरिया बनीं और ब्राह्मण की पत्नी मुर्गी बनी.

उन्होंने फिर से मनुष्य के रूप में जन्म लिया. इस जन्म में चंद्रमुखी मथुरा के राजा की रानी बनी, जिनका नाम ईश्वरी था और ब्राह्मण का नाम भूषणा था. इस जन्म में वे दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते थे. भूषणा को व्रत याद रहा और उसने व्रत रखा और उसके आठ बच्चे हुए. लेकिन रानी को व्रत याद नहीं रहा और वह भूषणा से ईर्ष्या करने लगी कि उसके आठ बच्चे हैं. ईर्ष्या के कारण उसने उन बच्चों को मारने की कोशिश की लेकिन उन्हें मार नहीं पाई. तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने भूषणा के सामने सब कुछ कबूल कर लिया. तब भूषणा ने उसे अपने पिछले जन्म के व्रत के बारे में बताया. ईश्वरी ने संतान सप्तमी के दिन व्रत रखा और एक बच्चे को जन्म दिया. तब से महिलाएं इस शुभ दिन पर व्रत रखती हैं और संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं.

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