Santoshi Mata Chalisa: हर शुक्रवार को करें माता संतोषी चालीसा का पाठ, घर में बढ़ेगा सुख- शांति और समृद्धि

Shri Santoshi Mata Chalisa: शुक्रवार का दिन माता सोतोषी को समर्पित है. शुक्रवार के दिन विधि-विधान से माता संतोषी की पूजा-आराधना और व्रत किया जाता है. आज के दिन पूजा के समय मां संतोषी चालीसा का पाठ करने पर घर में सुख- शांति और समृद्धि आती है.

By Radheshyam Kushwaha | August 25, 2023 8:15 AM

दोहा

बन्दौं संतोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार।
ध्यान धरत ही होत नर दुख सागर से पार॥
भक्तन को संतोष दे संतोषी तव नाम।
कृपा करहु जगदंबा अब आया तेरे धाम॥

जय संतोषी मात अनुपम। शांतिदायिनी रूप मनोरम॥
सुंदर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
श्‍वेतांबर रूप मनहारी। मां तुम्हारी छवि जग से न्यारी॥
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन। दर्शन से हो संकट मोचन॥

दिव्य स्वरूपा आयत लोचन। दर्शन से हो संकट मोचन॥
जय गणेश की सुता भवानी। रिद्धि-सिद्धि की पुत्री ज्ञानी॥
अगम अगोचर तुम्हरी माया। सब पर करो कृपा की छाया॥
नाम अनेक तुम्हारे माता। अखिल विश्‍व है तुमको ध्याता॥

तुमने रूप अनेक धारे। को कहि सके चरित्र तुम्हारे॥

धाम अनेक कहां तक कहिए। सुमिरन तब करके सुख लहिए॥

विंध्याचल में विंध्यवासिनी। कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी॥

कलकत्ते में तू ही काली। दुष्‍ट नाशिनी महाकराली॥

संबल पुर बहुचरा कहाती। भक्तजनों का दुख मिटाती॥
ज्वाला जी में ज्वाला देवी। पूजत नित्य भक्त जन सेवी॥
नगर बम्बई की महारानी। महा लक्ष्मी तुम कल्याणी॥
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो। सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो॥

राजनगर में तुम जगदंबे। बनी भद्रकाली तुम अंबे॥
पावागढ़ में दुर्गा माता। अखिल विश्‍व तेरा यश गाता॥
काशी पुराधीश्‍वरी माता। अन्नपूर्णा नाम सुहाता॥
सर्वानंद करो कल्याणी। तुम्हीं शारदा अमृत वाणी॥

तुम्हरी महिमा जल में थल में। दुख दरिद्र सब मेटो पल में॥
जेते ऋषि और मुनीशा। नारद देव और देवेशा।
इस जगती के नर और नारी। ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी॥
जापर कृपा तुम्हारी होती। वह पाता भक्ति का मोती॥

जो जन तुम्हरी महिमा गावै। ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै॥

जो मन राखे शुद्ध भावना। ताकी पूरण करो कामना॥
कुमति निवारि सुमति की दात्री। जयति जयति माता जगधात्री॥
शुक्रवार का दिवस सुहावन। जो व्रत करे तुम्हारा पावन॥

गुड़ छोले का भोग लगावै। कथा तुम्हारी सुने सुनावै॥
विधिवत पूजा करे तुम्हारी। फिर प्रसाद पावे शुभकारी॥
शक्ति सामर्थ्य हो जो धनको। दान-दक्षिणा दे विप्रन को॥
दुख दारिद्र संकट मिट जाता। ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता॥

वे जगती के नर औ नारी। मनवांछित फल पावें भारी॥
जो जन शरण तुम्हारी जावे। सो निश्‍चय भव से तर जावे॥
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे। निश्‍चय मनवांछित वर पावै॥
सधवा पूजा करे तुम्हारी। अमर सुहागिन हो वह नारी॥

विधवा धर के ध्यान तुम्हारा। भवसागर से उतरे पारा॥
जयति जयति जय संकट हरणी। विघ्न विनाशन मंगल करनी॥
हम पर संकट है अति भारी। वेगि खबर लो मात हमारी॥
निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता। देह भक्ति वर हम को माता॥
यह चालीसा जो नित गावे। सो भवसागर से तर जावे॥

Next Article

Exit mobile version