Saraswati Puja 2025: मां सरस्वती की आराधना आज, बसंत पंचमी पर सजा दरबार, ऐसे करें पूजा
Saraswati Puja 2025: ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आज आराधना की जाएगी. दरबार सज गये हैं. बसंत पंचमी को लेकर बच्चों और युवाओं में काफी उल्लास है.
Saraswati Puja 2025: रांची-आज ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आराधना होगी. सोमवार सुबह 9.37 बजे तक पंचमी तिथि मिल रही है. उदया तिथि में पंचमी मिलने के कारण पूरा दिन मान्य है. वसंत पंचमी का पर्व वसंत ऋतु के आगमन भी प्रतीक होता है. मान्यता है कि इसी दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थीं. इसी कारण हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है. मां सरस्वती की आराधना के लिए पंडाल सज गये हैं. बच्चों और युवाओं में खासा उत्साह दिख रहा है. विभिन्न टोले-मोहल्ले में भी छोटे-छोटे पंडाल बनाये गये हैं. साथ ही स्कूल और संगीतालयों सहित अन्य जगहों पर विशेष तैयारी कर वहां मां की प्रतिमा बैठा दी गयी है. आकर्षक साज-सज्जा की गयी है. लाइट गेट लगाये गये हैं. इसमें मां सरस्वती और अन्य देवी-देवता की विभिन्न आकृतियां दिखायी देंगी.
ऐसे करें मां की आराधना
मां की पूजा स्वयं अथवा पुरोहित के माध्यम से की जा सकती है. इसके लिए माता रानी की प्रतिमा अथवा चित्र रख लें. इसे किसी चौकी अथवा नीचे में लाल या पीला कपड़ा बिछा कर रखें. इसके बाद एक कलश रखकर उसमें आम का पल्लव डालें और उसके ऊपर ढक्कन में अक्षत रखकर कलश रख दें. फिर गंगाजल से पूजा स्थल और स्वयं का शुद्धीकरण करें. इसके बाद माता रानी का ध्यान कर भगवान गणेश की पूजा करें. माता सरस्वती सहित अन्य देवी-देवता की पूजा कर मां के ललाट पर सफेद या केसरिया चंदन लगायें. माता रानी के विभिन्न नामों का जाप करें. मां को प्रसाद स्वरूप विभिन्न मौसमी फल, मिठाई, खीर, पुआ अर्पित करें. फिर मां की आरती उतारें और प्रसाद का वितरण करें.
ये हैं पूजन सामग्री
प्रतिमा, पल्लव, नारियल, जनेऊ, वस्त्र, अक्षत, चंदन, फल, फूल, माला, मिठाई, कलम-दवात, कॉपी-किताब, अबीर-गुलाल, सुपाड़ी, केसर आदि.
बाबा का होगा तिलकोत्सव
वसंत पंचमी के दिन भोले बाबा का तिलकोत्सव भी होगा. इस दिन से महाशिवरात्रि के पूर्व तक शिव मंदिर से लेकर अन्य मंदिरों में हर दिन वैवाहिक गीत गाये जाते हैं. इसी दिन से होली की शुरुआत भी हो जाती है. होलिका दहन के लिए लकड़ी इकठ्ठा करने का कार्य शुरू हो जाता है. होली तक हर दिन फाग भी गाये जाते हैं. पुरी में रथ निर्माण का कार्य शुरू होता है.