Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध का आयोजन किया जाता है. यदि आप इस दिन अपने पितरों का श्राद्ध कर रहे हैं, तो कुछ ऐसे पुण्य कार्य भी करने चाहिए, जिनसे आपके पितर आपसे प्रसन्न होकर अपनी कृपा बनाए रखें. इस दिन किए जाने वाले ये कार्य आपके घर में पूरे वर्ष सुख और समृद्धि का संचार करते हैं. इसके साथ ही, धन और अनाज की कमी भी नहीं होती. आइए, जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या पर किए जाने वाले ज्योतिषीय उपाय, जो आपके घर में सुख-समृद्धि लाते हैं.
सर्व पितृ अमावस्या का मुहूर्त
इस वर्ष आज सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को मनाई जा रही है, जब सूर्य ग्रहण भी होगा. इस दिन का मुहूर्त 1 अक्टूबर की रात 9 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होगा और यह तिथि 3 अक्टूबर की रात 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी. इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जिसका मुहूर्त 2 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से लेकर 3 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.
सर्वपितृ अमावस्या पर भूलकर ना करें ये काम
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, पितृपक्ष के समय कुछ विशेष कार्यों से बचना आवश्यक है ताकि पितृ दोष से मुक्ति मिल सके. इसमें नई वस्तुओं की खरीदारी से परहेज करना, साथ ही बाल और नाखून नहीं कटवाना शामिल है, ताकि आप पितृ दोष के गंभीर प्रभावों से सुरक्षित रह सकें.
शराब या मांस का सेवन
पितृ तर्पण के अवसर पर शराब या मांस का सेवन करना अत्यंत अशुभ माना जाता है. यह आपके पूर्वजों का अपमान कर सकता है और उनकी नाराजगी का कारण बन सकता है.
काले कपड़े पहनना
इस दिन काले कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है. इसके बजाय, सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनना अधिक उचित होता है, क्योंकि ये शांति और पवित्रता का प्रतीक होते हैं.
सूर्यास्त के बाद तर्पण करना महत्वपूर्ण
पितरों का तर्पण सूर्यास्त से पूर्व करना चाहिए. सूर्यास्त के बाद तर्पण करना अशुभ माना जाता है और इसके नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं.
सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों का तर्पण इस विधि से करें
शुभ समय
पितरों का तर्पण करने के लिए उचित शुभ समय का चयन करना आवश्यक है. शुभ मुहूर्त में तर्पण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है.
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स्नान
तर्पण करने से पूर्व स्नान करना और स्वच्छ वस्त्र पहनना अनिवार्य है. यदि संभव हो, तो किसी पवित्र नदी में स्नान कर वहीं तर्पण करना अधिक फलदायक होता है.
दक्षिण दिशा
तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए. इस दिशा को पूजा के लिए शुभ माना जाता है.
स्थान की शुद्धि
जहां तर्पण किया जा रहा है, उस स्थान की अच्छी तरह सफाई करें और शुद्धि के लिए गंगा जल का छिड़काव करें.
तस्वीर की स्थापना
जिन पूर्वजों का तर्पण किया जा रहा है, उनकी तस्वीर को स्थापित करें और दीपक तथा धूप जलाएं.
तर्पण का जल
तर्पण के लिए एक लोटे में जल लें और उसमें जौ, चावल, काले तिल, कुश की जूडी, सफेद फूल, गंगाजल, दूध, दही और घी मिलाएं. जल के लोटे के साथ तर्पण करें.