Shani Vakri (Saturn retrograde 2020): 11 मई दिन सोमवार को शनि अपनी चाल को बदलते हुए वक्री हो जाएंगे है. शनि की यह वक्री चाल 142 दिनों तक रहेगी. इसके बाद 29 सितंबर से शनि वक्री से फिर मार्गी हो जाएंगे. ऐसे में शनि के चाल बदलने से कई लोगों की परेशानियां बढ़ जाएगी. शनि के राशि परिवर्तन से कई राशियों पर इसका व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा है. इसके बाद 13 मई को शुक्र वृषभ राशि में वक्री होगा. ये दोनों ग्रह अपनी-अपनी राशि में वक्री रहेंगे. इस समय 9 में से 6 ग्रह एक साथ वक्री हो रहे है. ये एक दुर्लभ संयोग है. ऐसा बहुत ही कम होता है, जब एक साथ 6 ग्रह वक्री रहते हैं. ग्रहों की इन स्थितियों के प्रभाव से दुनियाभर में फैली कोरानावायरस की महामारी का असर कम हो सकता है.
ज्योतिषशास्त्र में शनि को न्याय का कारक ग्रह माना गया है. शनि के वक्री होने का सबसे अधिक असर उन राशि के जातकों पर पड़ेगा जिन राशि पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही होगी. अगर आपकी कुंडली में शनि अशुभ भाव में बैठा है तब आपको इसका कष्ट देखने को मिलेगा. वहीं, अगर आपकी कुंडली में शनि शुभ भाव में है तो आपको इसका अशुभ असर देखने को नहीं मिलेगा. राहु-केतु छाया ग्रह माने गए हैं, ये हमेशा वक्री ही रहते हैं. राहु-केतु क्रमश: मिथुन और धनु में वक्री हैं. सूर्य और चंद्र हमेशा मार्गी रहते हैं. 14 मई को गुरु भी वक्री हो रहा है. ये अपनी नीच राशि मकर में शनि के साथ स्थित है. इसके बाद लगातार 34 दिनों तक गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु ये 5 ग्रह वक्री रहेंगे. 18 जून को बुध भी मिथुन राशि में वक्री हो जाएंगे. इस तरह 6 ग्रहों वक्री हो जाएंगे.
सन 1961 में गुरु नीच राशि मकर और शनि स्वयं की राशि मकर में एक साथ युति बनाते हुए वक्री हुए थे. उस समय शुक्र वक्री नहीं था और बुध अपनी स्वयं की राशि मिथुन में वक्री था. जुलाई 1961 में भी शुक्र वृषभ में था, लेकिन वक्री नहीं था. 6 बड़े ग्रहों का एक साथ वक्री होना, दुर्लभ योग है. मई-जून के मध्य में ऐसा योग बनेगा और जुलाई के प्रारंभ तक इन ग्रहों का वक्री योग चलेगा. इस समय दुनियाभर में महामारी कोरोना वायरस फैली हुई है और अर्थ व्यवस्था बिगड़ रही है. इन ग्रहों के वक्री होने से दुनियाभर में महामारी का असर कम हो सकता है. अर्थ व्यवस्था में सुधार के भी योग बन रहे हैं. 14 मई से 12 जुलाई तक यह समय ऐसा ही रहने के योग है.
ज्योतिष में ग्रहों की दो स्थितियां बताई गई हैं. एक मार्गी और दूसरी वक्री. मार्गी में ग्रह सीधा चलता है यानी आगे बढ़ता है, जबकि वक्री स्थिति में ग्रह टेढ़ा या उल्टा चलता है यानी पीछे की ओर चलने लगता है. 18 जून से 25 जून तक 7 दिनों के लिए 6 ग्रह वक्री रहेंगे. इसके बाद 25 जून की रात शुक्र ग्रह वृष राशि में मार्गी हो जाएगा. इसके बाद पांच ग्रह वक्री रह जाएंगे.
– प्रत्येक शनिवार को शनि देव का उपवास रखें.
– शाम को पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं
– शनि के बीज मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का 108 बार जाप करें.
– काले या नीले रंग के वस्त्र धारण करें.
– गरीबों को अन्न-वस्त्र दान करें.