Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री व्रत कब है, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और इस दिन का महत्व

Vat Savitri Vrat 2024: ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट सावित्रि व्रत रखा जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखकर वट यानी बरगद के पेड़ की विधिवत पूजा करती है.

By Radheshyam Kushwaha | June 5, 2024 1:01 PM

Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए खास होता है. वट सावित्री का व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखा जाता है. वहीं कुछ जगहों पर ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. इस साल वट सावित्री व्रत 6 जून 2024 दिन गुरुवार अमावस्या तिथि को रखा जा रहा है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखकर वट यानी बरगद के पेड़ की विधिवत पूजा करती है, इसके साथ-साथ कच्चा सूत या फिर सफेद धागा बांधती है. इस साल वट सावित्रि व्रत पर शनि जयंती भी मनाई जाएगी. आइए जानते है वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन का महत्…

वट सावित्री व्रत 2024 की तिथि

ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत 05 जून की शाम को 07 बजकर 54 मिनट पर होगी. वहीं ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि की समाप्ति 6 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर होगी. वट सावित्री व्रत 6 जून 2024 दिन गुरुवार को रखा जाएगा. वट सावित्री व्रत के पूजन का शुभ मुहूर्त 6 जून को 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर होगा. अमृत काल समय 6 जून को सुबह 05 बजकर 35 मिनट से सुबह 07 बजकर 16 मिनट तक है.

ज्येष्ठ पूर्णिमा की वट सावित्री व्रत 2024 कब है?

ज्येष्ठ मास में दो बार वट सावित्री व्रत रखा जाता है, जहां वट सावित्री व्रत अमावस्या तिथि को 6 जून को रखा जा रहा है. वहीं ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून 2024 को सुबह 07 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 22 जून को सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक है. इसलिए 21 जून को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा. इस दिन पूजा का समय 21 जून को सुबह 05 बजकर 24 मिनट तक सुबह 10 बजकर 38 मिनट तक है.

क्यों मनाते हैं वट सावित्री व्रत?


विवाहित महिलाएं वट सावित्री का व्रत अपने पतियों के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. देवी सावित्री के सम्मान में महिलाएं बरगद की पूजा करने तक निर्जला व्रत रखती हैं, इसके बाद बरगद के पेड़ की कोपल खाकर अपना व्रत को खोलती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए सोलह श्रृंगार करके वट वृक्ष की पूजा करती हैं. धार्मिक कथा के अनुसार, सावित्री ने भगवान यमराज को भ्रमित कर उन्हें अपने पति सत्यवान के प्राण को लौटाने पर विवश किया था. इसी के कारण हर साल सुहागिन महिलाएं अपने पति की सकुशलता, दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए वट सावित्री व्रत रखती हैं.

Also Read:Shani Jayanti 2024: जून में शनि जयंती कब है? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और उपाय

वट वृक्ष पूजन मंत्र


अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रान्‌ पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।
यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।

वट सावित्री व्रत में शृंगार सामग्री है बेहद जरूरी


वट सावित्री व्रत की पूजा थाली में शृंगार का सामान जरूर रखना चाहिए, क्योंकि यह व्रत पूर्ण रूप से महिलाओं के सुहाग से जुड़ा हुआ है. धार्मिक मान्यता है कि सुहागिनों को पहले खुदका सोलह शृंगार करना चाहिए, इसके बाद अपनी पूजा थाली में सोलह शृंगार का पूरा सामान रखना चाहिए, जिससे जीवन में शुभता और खुशहाली बनी रहे.

कच्चा सूत के बिना पूरी नहीं होती पूजा


वट सावित्री व्रत की पूजा थाली में कच्चा सूत जरूर रखना चाहिए. कच्चा सूत यानी कच्चा धागा समृद्धि और शुभता का प्रतीक है. इसके साथ ही बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. इसलिए अपनी पूजा सामग्री में इसे जरूर शामिल करना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version