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Shiv Aarti: शिव आरती के बिना अधूरा रह जाता है सावन सोमवार का व्रत, यहां पढ़े – जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा

jai shiv omkara jai shiv omkara: आज सावन मास का आखिरी सोमवार 16 अगस्त है. विवाह संबंधी अड़चनों को दूर करने, घर की सुख-समृद्धि और सकारात्मकता के लिए सावन महीने में पड़ने वाले सोमवार को व्रत रखना चाहिए

jai shiv omkara jai shiv omkara: आज सावन मास का आखिरी सोमवार 16 अगस्त है. विवाह संबंधी अड़चनों को दूर करने, घर की सुख-समृद्धि और सकारात्मकता के लिए सावन महीने में पड़ने वाले सोमवार को व्रत रखना चाहिए. माना जाता है कि कोई भी व्रत भगवान की आरती के साथ ही पूरा होता है, ऐसे में जो लोग सावन सोमवारी व्रत रखते हैं, उन्हें शिव जी की आरती जरूर करना चाहिए. क्योंकि आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है…

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

शिव पंचाक्षर स्तोत्र पाठ:

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।

मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।

वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।

चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।

दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।

पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ।

शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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