Sawan 2023: सावन मास 4 जुलाई, मंगलवार से शुरू हो रहा है. सावन चढ़ते ही पूरा माहौल शिव भक्ति में सराबोर हो जाता है. भगवान शिव को सावन का महीना बहुत ही प्रिय है इस मास में सबसे अधिक वर्षा भी होती है जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करती है. भगवान शंकर ने स्वयं सनत कुमारों को सावन महीने की महिमा बताई. सावन में भगवान शिव के जलाअभिषेक और उनके विष पान के पीछे कई मान्यता और कहानी प्रचलित है आगे पढ़ें…
भगवान शिव के तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बायें चंद्रमा और अग्नि मध्य नेत्र हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य कर्क राशि में गोचर करता है तब सावन मास की शुरुआत होती है. सूर्य गर्म है जो ऊष्मा देता है जबकि चंद्रमा ठंडा है जो शीतलता प्रदान करता है. इसलिए सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तब वर्षा खूब होती है जिसे लोक कल्याण के लिए विष पिने वाले भोलेनाथ को ठंडक तथा सुकून मिलता है. इसलिए शिव को जल से अभिषेक करने तथा जल चढाने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं.
दूसरी मान्यता यह है कि भगवान शिव सावन मास में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने ससुराल गये थे वहां उनका स्वागत अर्ध्य तथा जलाभिषेक से किया गया था. इसलिए भी जलाभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.
पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है कि इसी सावन मास में समुंद्र मंथन किया गया था समुंद्र मंथन के बाद जो हलाहल विष निकला उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की लेकिन विष पान से महादेव का कंठ नीलवर्ण का हो गया. इसी से उनका नाम नीलकंठ महादेव पड़ा. विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया. इसलिए महादेव पर जल चढ़ाया जाता है. महादेव को जल चढ़ाने से भक्तों पर शिव की विशेष कृपा बन जाती है.
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शिवपुराण में उल्लेख है कि भगवान शिव स्वयं जल हैं इसलिए जल से उनका अभिषेक के रूप में आराधना उतम माना जाता हैं.
आपके पास भगवान शिव के पूजन के लिए कोई साधन नहीं हो सिर्फ जल उपलब्ध हो तब भी भगवान शिव का पूजन कर सकते हैं. साथ में पंचाक्षरी मंत्र का जप करें या ओम नमः शिवाय का जप करें. सब पाप से मुक्त होंगे, तथा परिवार में उन्नति होगी.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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