Sawan Last Somwar Vrat 2023: सावन का आखिरी सोमवार आज, पांच शुभ संयोग में महादेव की ऐसे करें पूजा
Sawan Last Somwar Vrat 2023: आज सावन का आखिरी सोमवार और प्रदोष व्रत है. सावन मास का अंतिम सोमवर और प्रदोष व्रत एक साथ है. आज आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, सर्वार्थ सिद्ध योग और रवि योग का शुभ संयोग है. प्रदोष शिव पूजा सौभाग्य योग में होगी.
Sawan Last Somwar Vrat 2023: देवों के देव महादेव का प्रिय महीना सावन है. सावन मास 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा. अधिक मास के चलते इस बार सावन दो माह का था, इसलिए सावन में 8 सोमवार व्रत करने का संयोग बना था. वहीं सावन का आठवां और आखिरी सोमवार 28 अगस्त 2023 यानि आज है. सावन माह के प्रत्येक सोमवार शिव भक्तों के लिए बेहद खास माने जाते हैं.
सावन का आखिरी सोमवार बेहद खासमान्यता है की सावन मास के सोमवार का व्रत रखने और पूजा करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. ऐसे में महादेव को प्रसन्न करने के लिए भक्तों के पास सिर्फ एक सोमवार बचा हुआ है. इसलिए इस दिन आपको विशेष पूजा आराधना करनी चाहिए.
इस साल सावन का 8वां और आखिरी सोमवार व्रत आज है. आज खास संयोग बन रहे हैं. सावन के आखिरी सोमवार पर सावन पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण होगा. इसके साथ ही इसी दिन सोम प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है.
आठवां सावन सोमवार 2023 तिथिपंचांग के अनुसार आज 28 अगस्त को शाम 06 बजकर 22 मिनट तक सावन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है. इसके बाद त्रयोदशी तिथि की शुरुआत हो जाएगी. ऐसे में आप सुबह सावन सोमवार व्रत की पूजा के साथ ही शाम को प्रदोष व्रत की पूजा भी कर सकते हैं.
सावन का आखिरी सोमवार शुभ मुहूर्तआज सुबह पूजा का मुहूर्त 09 बजकर 09 से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक है. इसके बाद प्रदोष काल में पूजा का मुहूर्त शाम 06 बजकर 48 मिनट से रात 09 बजकर 02 तक है.
सावन के आखिरी सोमवार पर ऐसे करें महादेव की पूजासावन के आखिरी सोमवार पर सुबह स्नान के बाद व्रत और शिवजी की पूजा का संकल्प लें
सुबह शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर में जाकर या घर ही शिवलिंग की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करें.
फिर गंगाजल या दूध से शिवजी का अभिषेक करें.
भगवान शिव शम्भू को को चंदन, अक्षत, सफेद फूल, बेलपत्र, भांग की पत्तियां, शमी के पत्ते, धतूरा, भस्म और फूलों की माला अर्पित करें.
शिव जी शहद, फल, मिठाई, शक्कर, धूप-दीप अर्पित करें.
फिर शिव चालीसा का पाठ और सोमवार व्रत कथा का पाठ करें.
आखिर में शिवलिंग के समक्ष घी का दीपक जलाएं और भोलेनाथ की आरती करें.