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Sawan Maas 2024 Start Date: इस साल कब से शुरू हो रहा है सावन का महीना, जानें सही तिथि और श्रावण मास में बन रहे दुर्लभ संयोग का महत्व

Sawan Maas 2024: आषाढ़ के समाप्त होते ही सावन का महीना प्रारंभ हो जाएगा, जो शिव पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर सोमवार के दिन. इस बार सावन 2024 में कुछ दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. आइए जानते हैं सावन के इन शुभ संयोगों के बारे में.

By Kajal Kumari | June 29, 2024 7:32 AM

Sawan Maas 2024: शिव भक्त हर साल सावन महीने का बड़ी उत्सुकता से इंतजार करते हैं. सावन महीने में कांवड़ यात्रा पूरी कर महादेव का दर्शन करते है. धार्मिक मान्यता है कि सावन में की गई शिव पूजा से अमिट पुण्य की प्राप्ति होती है. इस पवित्र महीने में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में शांति और समृद्धि आती है. इस वर्ष सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और इसे विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है. 2024 का सावन कई दुर्लभ संयोग लेकर आ रहा है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं. आइए जानते हैं कि इस साल सावन क्यों इतना महत्वपूर्ण है और कौन-कौन से शुभ संयोग इस पावन महीने को विशिष्ट बना रहे हैं. इस बार सावन में कई अद्वितीय योग बन रहे हैं जो शिव भक्तों के लिए विशेष फलदायी होंगे. इन शुभ संयोगों में विशेष पूजा-अर्चना और व्रत रखने से भक्तों को अद्वितीय लाभ मिलेगा. सावन के इस महत्वपूर्ण महीने में शिवलिंग का अभिषेक, विशेष मंत्रों का जाप और भक्ति भाव से की गई पूजा अर्चना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी. इस प्रकार, 2024 का सावन महीने में भक्तों के लिए विशेष आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व रखता है.

कब से शुरू हो रहा है सावन ?

इस वर्ष सावन का महीना विशेष रूप से शुभ होगा. क्योंकि यह 29 दिनों का रहेगा. श्रावण मास 22 जुलाई (सोमवार) से शुरू होकर 19 अगस्त 2024 (सोमवार) तक चलेगा. खास बात यह है कि सावन की शुरुआत और समाप्ति दोनों ही सोमवार को हो रही है, जो भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. सावन का अंतिम दिन श्रावण पूर्णिमा को होता है, जिसे रक्षा बंधन के रूप में मनाया जाता है. इस साल रक्षाबंधन भी सावन सोमवार के दिन पड़ रहा है, जो इसे और भी शुभ और पवित्र बनाता है. सावन का महीना शिव भक्ति और पूजा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस पूरे महीने में भगवान शिव की आराधना, व्रत, और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है. भक्तजन इस समय को अपने जीवन की समस्याओं के समाधान और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सर्वोत्तम मानते हैं. इस वर्ष की सावन पूर्णिमा, जो रक्षाबंधन के दिन आ रही है, इसे और भी खास बना देती है क्योंकि यह दिन भाई-बहन के प्यार के साथ-साथ शिव कृपा का भी प्रतीक होगा.

सावन के सोमवार का महत्व

भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से मनचाहे वरदान प्राप्त होते हैं. सावन सोमवार का व्रत विवाह में आ रही बाधाओं, संतान सुख, धन लाभ और रोगों से मुक्ति के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है. इस पवित्र मास में विवाहित महिलाएं अपने सौभाग्य की कामना करते हुए सावन के प्रत्येक सोमवार को विधिपूर्वक व्रत और पूजन करती हैं. सावन सोमवार विशेष रूप से भगवान शिव को प्रसन्न करने का दिन है, और इस दिन की गई पूजा-पाठ और नियम शीघ्र फल प्रदान करते हैं. सावन का मास भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है. इस दौरान शिव भक्त उनकी कृपा पाने के लिए व्रत, उपवास, और रुद्राभिषेक करते हैं. ऐसा विश्वास है कि इस मास में की गई पूजा और भक्ति से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. सावन सोमवार को की जाने वाली आराधना न केवल व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान के लिए बल्कि संपूर्ण परिवार की सुख-शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है. इस मास में शिवलिंग पर जल चढ़ाने, मंत्र जाप करने और शिव की आराधना करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है, जिससे जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है.

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सावन का महीना मनाए जाने का कारण

  • ऋषि मार्कण्डेय ने सावन मास के दौरान कठोर तपस्या कर भगवान शिव की कृपा प्राप्त की थी, जिससे उनकी अल्पायु बदलकर चिरंजीवी हो गई थी. यह महाकाव्यीय कथा बताती है कि शिव जी की आराधना से असंभव भी संभव हो सकता है. सावन के महीने में की गई पूजा और तपस्या से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को दीर्घायु, सुख और समृद्धि का वरदान देते हैं.
  • समुद्र मंथन की महान घटना भी सावन मास में ही घटित हुई थी. इस दौरान भगवान शिव ने हलाहल विष का पान कर लिया, जिससे उन्हें तीव्र पीड़ा होने लगी. तब देवताओं ने शिव जी की पीड़ा शांत करने के लिए उन्हें जल अर्पित किया. इसी वजह से शिवलिंग पर जलाभिषेक की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी सावन मास में विशेष रूप से की जाती है. ऐसा माना जाता है कि सावन में जो भी व्यक्ति शिव जी का जलाभिषेक करता है, उसके सभी कष्ट और संकट भगवान शिव हर लेते हैं.
  • सावन के महीने में ही भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया और उनका जलाभिषेक कर सम्मानित किया गया था. यही कारण है कि हर सावन मास में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. भक्तजन इस मास में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकें और उनका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण हो सके. सावन का यह पवित्र महीना शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जिसमें की गई पूजा-पाठ और व्रत-उपवास विशेष फलदायी माने जाते हैं.
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