Sawan Mangala Gauri Vrat 2024: सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत आज, सौभाग्य प्राप्ति के लिए इस आरती और कथा से करें पूजा का समापन

Sawan Mangala Gauri Vrat 2024: सावन मास का आज दूसरा मंगला गौरी व्रत है. आज महिलाएं व्रत रखकर माता पार्वती जी की विशेष पूजा अर्चना करती है. आइए जानते है मंगला गौरी व्रत से जुड़ी प्रमुख बातें-

By Radheshyam Kushwaha | July 30, 2024 9:08 AM

Sawan Mangala Gauri Vrat 2024: सावन मास का आज दूसरा मंगलवार है. सावन मास के प्रत्येक मंगलवार को महिलाएं मंगला गौरी का व्रत रखकर माता गौरी की पूजा अर्चना करती हैं. आज मंगलवार को विवाहित महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य और पारिवारिक सुख-शांति के लिए रखा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार यह व्रत देवी गौरी को समर्पित है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार मंगला गौरी व्रत पूजा बिना आरती और कथा श्रवण के बिना पूरी नहीं होती है. इसलिए सावन के दूसरे मंगलवार को इस व्रत का पालन करते समय कुछ विशेष बातें ध्यान में रखनी है. आइए जानते है-

मंगला गौरी व्रत का संकल्प

सावन मास के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत का संकल्प लेकर इसे पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाएं. इस दिन अन्न का सेवन भूलकर भी नहीं करें. हालांकि फल, दूध या फलाहार का सेवन कर सकते है. मंगला गौरी व्रत का संकल्प लेने से पहले भगवान गणेश और माता पार्वती का ध्यान जरूर करें, जिससे आपका उपवास सफलतापूर्वक संपन्न हो सके.

मंगला गौरी की पूजा कैसे करें?

मंगला गौरी व्रत पूजा करने से पहले देवी पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और विधिपूर्वक पूजा करें. माता पार्वती जी की पूजा में विशेष रूप से लाल फूल, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, दूध, दही, घी, और शहद का उपयोग करें. पूजन के समय ‘ओम मंगलायै नमः’ मंत्र का जाप करें.

मंगला गौरी व्रत कथा का श्रवण

पौराणिक कथा के अनुसार, एक शहर में धर्मपाल नाम का व्यापारी रहता था. उसके पास अधिक मात्रा में संपत्ति थी. व्यापारी के पास एक भी संतान नहीं था, जिसके कारण वह बहुत ही दुखित रहता था, जब व्यपारी ने सच्चे मन से पूजा अर्चना किया तो उसे पुत्र की प्राप्ति हुई, लेकिन संतान की कुंडली से यह पता चला कि बालक की 16 वर्ष में सर्प दंश से मृत्‍यु हो जाएगी. उसकी शादी 16 साल से पूर्व हो गई. संतान की पत्नी मंगला गौरी व्रत करती थी. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य से वह जीवन में विधवा नहीं हुई और उसके पति को जीवनदान मिल गया. तभी से सावन में पड़ने वाले हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत करने की शुरुआत हुई. इसलिए मंगला गौरी व्रत की कथा का श्रवण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. कथा सुनने से व्रत का फल प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

भोग और आरती

मंगला गौरी व्रत पूजा के अंत में मंगल गौरी को विशेष भोग अर्पित करें. भोग में गुड़, चने, और विभिन्न प्रकार के मिठाई शामिल करें. इसके पश्चात आरती करें और प्रसाद का वितरण करें.

सुहाग सामग्री का दान

मंगला गौरी व्रत पूजा के दौरान सुहागन महिलाएं सुहाग की सामग्री से जुड़ी जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, महावर आदि का दान करें, इसे सुहागिन स्त्रियों को देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें. यह दान सौभाग्य और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है.
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मंगला गौरी की आरती (Mangla Gauri Aarti)

जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता। जय मंगला गौरी…।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय मंगला गौरी…।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है,
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था। जय मंगला गौरी…।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता। जय मंगला गौरी…।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता,
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता। जय मंगला गौरी…।
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता। जय मंगला गौरी…।
देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता। जय मंगला गौरी…।
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

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