23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Sawan Masik Kalashtami 2024: सावन माह में इस दिन है कालाष्टमी, भगवान काल भैरव की आराधना का शुभ अवसर

Sawan Masik Kalashtami 2024: सावन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 27 जुलाई दिन शनिवार को रात 9 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी और 28 जुलाई दिन रविवार को रात 7 बजकर 27 पर समाप्त होगी.

Sawan Masik Kalashtami 2024: हिंदू धर्म में, काल भैरव भगवान शिव का एक उग्र रूप हैं, जो विनाश और संरक्षण के देवता के रूप में जाने जाते हैं. काल अष्टमी, जिसे काल भैरव जयंती या भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. यह भगवान काल भैरव की आराधना का एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है.

धार्मिक महत्व

काल भैरव को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है. काल अष्टमी के दिन उनकी पूजा करने से भक्तों को ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति, भय और चिंताओं से राहत, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Hanuman ji upay: कार्यों में आ रही बाधा, हनुमान जी के इन उपायों से करें दूर

सावन माह में किस दिन मनाई जाएगी कालाष्टमी

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष काल अष्टमी 28 जुलाई, 2024 को रविवार के दिन मनाई जाएगी. अष्टमी तिथि 27 जुलाई को रात 9 बजकर 20 मिनट से शुरू होगी और 28 जुलाई को रात 7 बजकर 27 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार, पूजा 28 जुलाई को ही सर्वोत्तम मानी जाती है.

कालाष्टमी का ऐतिहासिक महत्व

काल भैरव भगवान शिव के रुद्र अवतार हैं, जिन्हें विनाश और संरक्षण का देवता माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, समद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीने के बाद भगवान शिव का शरीर गरम हो गया था. इस गरमी से उनके शरीर से पसीना निकला, जिससे काल भैरव की उत्पत्ति हुई. भक्तों का मानना है कि काल अष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति, भय और चिंताओं से राहत, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.

कालाष्टमी की पूजा विधि

काल अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
पूजा स्थल को साफ करें और सजाएं. भगवान काल भैरव की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें. दीपक, धूप, नैवेद्य, फूल, फल आदि पूजा सामग्री अर्पित करें. भगवान काल भैरव का मंत्र जाप करें या स्तोत्र का पाठ करें. आरती उतारें और भोग लगाएं. व्रत रखने वाले भक्त पूरे दिन निर्जला या सात्विक भोजन का सेवन करें. रात में पूजा के बाद व्रत का पारण करें.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें