Sawan Shivratri 2021: सावन का महीना शुरू हो चुका है. सावन का महीना पूजा-पाठ के लिए शुभ माना गया है. पूरा महीना भगवान शिव की उपासना और पूजा के लिए समर्पित है. सावन माह में सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. जो इस बार 6 अगस्त दिन शुक्रवार को पड़ रही है. पंचांग के अनुसार सावन मास की मासिक शिवरात्रि का व्रत 6 अगस्त यानि श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाएगा. जिसका पारण 7 अगस्त को होगा.
सावन मास की चतुर्दशी तिथि 06 अगस्त दिन शुक्रवार की शाम 06 बजकर 28 मिनट से आरंभ होगी और चतुर्दशी तिथि अगले दिन यानी 07 अगस्त 2021 की शाम 07 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी. आइए जानते है शुभ मुहुर्त, पूजा विधि और पारण करने का समय…
मासिक शिवरात्रि का पूजन निशिता काल में करना सर्वोत्तम फलदायी माना गया है. पंचांग के अनुसार निशिता काल में सावन मास की शिवरात्रि पूजा का समय रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से रात्रि 12 बजकर 48 मिनट तक बना हुआ है.
-
सावन शिवरात्रि व्रत तिथि: 6 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार
-
निशिता काल पूजा मुहूर्त आरंभ: 7 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार की रात 12 बजकर 06 मिनट से आरंभ
-
निशिता काल पूजा मुहूर्त समाप्त: 7 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार की रात 12 बजकर 48 मिनट तक
-
पूजा की अवधि: केवल 43 मिनट तक
-
सावन शिवरात्रि व्रत पारण मुहूर्त: 7 अगस्त दिन शनिवार की सुबह 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक
-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें.
-
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
-
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें.
-
शिवलिंग पर गंगा जल और दूध चढ़ाएं.
-
भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें.
-
भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें.
-
भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं.
सावन माह में व्यक्ति को सात्विक आहार लेना चाहिए. प्याज, लहसुन भी नहीं खाना चाहिए.
सावन के महीने में मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.
इस माह में अधिक से अधिक भगवान शंकर की अराधना करनी चाहिए.
इस माह में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए.
सावन के महीने में सोमवार के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है.
अगर संभव हो तो सावन माह में सोमवार का व्रत जरूर करें.
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.
सावन शिवरात्रि व्रत का आरंभ और पारण दोनों को ही विशेष माना गया है. मान्यता है कि शिवरात्रि व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में विधि पूर्वक ही करना चाहिए. तभी इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. पारण के बाद दान आदि का कार्य भी करना शुभ माना गया है. शिवरात्रि व्रत का पारण पंचांग के अनुसार 07 अगस्त की सुबह 05 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 47 मिनट तक कर सकते हैं.
Posted by: Radheshyam Kushwaha