Sawan Shivratri 2022: सावन महीने की शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2022 Date) 26 जुलाई को है. वहीं सावन के महीने में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व बताया गया है. शिवपुराण के रुद्रसंहिता में बताया गया है कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) करना विशेष फलदायी है. रुद्राभिषेक में भगवान शिव का पवित्र स्नान कराकर पूजा-अर्चना की जाती है. यह सनातन धर्म में सबसे प्रभावशाली पूजा मानी जाती है जिसका फल तत्काल प्राप्त होता है. इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों के सभी कष्टों का अंत करते हैं और सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं. लेकिन इस वर्ष कोरोना संकट के कारण कई शिवालयों में रुद्राभिषेक की अनुमति नही है. ऐसे में आप घर पर भी यह पवित्र अभिषेक कर सकते हैं. यजुर्वेद में घर पर रुद्राभिषेक करने की विधि के बारे में बताया गया है, जो अत्यंत लाभप्रद है. आइए जानते हैं घर पर किस तरह करें सावन में भगवान शिव का रुद्राभिषेक…
सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका: अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा में हैं. जैसा की मंत्र से साफ है कि रूद्र ही सर्वशक्तिमान हैं. रुद्राभिषेक में भगवान शिव के रुद्र अवतार की पूजा की जाती है. यह भगवान शिव का प्रचंड रूप है समस्त ग्रह बाधाओं और समस्याओं का नाश करता है. सावन के महीने में रुद्र ही सृष्टि का कार्य संभालते हैं, इसलिए इस समय रुद्राभिषेक अधिक और तुरंत फलदायी होता है. इससे अशुभ ग्रहों के प्रभाव से जीवन में चल रही परेशानी भी दूर होती है, परिवार में सुख समृद्धि और शांति आती है.
घर में मिट्टी का शिवलिंग बनाएं, अगर पारद शिवलिंग है तो यह बहुत अच्छा है. पहले भगवान गणेश की पूजाकर उनसे सफलता का आशीर्वाद मांगें. फिर माता पार्वती, भगवान गणेश, नौ ग्रह, माता लक्ष्मी, सूर्यदेव, अग्निदेव, ब्रह्मदेव, पृथ्वी माता और गंगा माता को पूजा में शामिल करें. इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और नवग्रहों के लिए आसन या सीटें तैयार की जाती हैं. देवी-देवताओं पर रोली, अक्षत और फूल चढ़ाएं और भोग लगाएं.
रुद्राभिषेक के लिए गाय का घी, चंदन, फूल, मिठाई, फल, गंध, धूप, कपूर, पान का पत्ता, शहद, दही, ताजा दूध, गुलाबजल, गन्ने का रस, नारियल का पानी, चंदन पानी, गंगाजल, पानी, सुपारी और नारियल आदि की व्यवस्था करें. अगर आप अन्य सुगंधित पदार्थ शिव को अर्पण करना चाहते हैं तो वह भी लेकर रख लें. श्रृंगी (गाय के सींग से बना अभिषेक का पात्र) श्रृंगी पीतल या फिर अन्य धातु की भी बाजार में उपलब्ध होता है. रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनि रुद्री के ग्यारह आवृति पाठ किया जाता है. इसे ही लघु रुद्र कहा जाता है. शिवलिंग से बहने वाले पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें और फिर वेदी पर रखें.
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घर पर शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें और भक्त पूर्व की तरफ मुख करके बैठें.
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अभिषेक श्रृंगी में गंगाजल से शुरू करें और फिर उसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध आदि जितने भी तरल पदार्थ हैं उनसे अभिषेक करें.
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इसके बाद भगवान शिव का चंदन से लेप लगाएं और फिर उनके पान का पत्ता, सुपारी आदि सभी चीजें अर्पित करें.
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इसके बाद भगवान शिव के भोग के लिए जो व्यंजन रखें हैं, उनको अर्पित करें. इसके बाद भगवान शिव के मंत्र का 108 बार जप करें और फिर आरती उतारें.
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भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र, ओम नम: शिवाय या फिर रुद्रामंत्र का जप करते रहें.
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अभिषेक के समय घर पर सभी लोग मौजूद रहें और ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहें. अभिषेक से एकत्रित पानी को पूरे घर पर छिड़क दें और फिर पीने के लिए दे दें.
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माना जाता है कि इससे सभी रोग दूर हो जाते हैं.
“दैवज्ञ” डॉ श्रीपति त्रिपाठी
ज्योतिर्विद
संपर्क न.- 9430669031