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शनि प्रदोष और मासशिवरात्रि व्रत 15 जुलाई को एक साथ, बन रहा बेहद शुभ योग, साढ़े साती, ढैय्या वाले करें ये काम

Shani Pradosh Vrat 2023: सावन मास में सोमवार का पूजन तो कल्याणकारी है ही इसके अलावा प्रदोष, मासशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विशेष पूजन किया जाता है. जानें शनि प्रदोष व्रत कब है? पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और शनि की साढ़े साती और ढैय्या के उपाय जानें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 12, 2023 12:03 PM
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Shani Pradosh Vrat 2023: सावन मास में भगवान शिव के पूजन से वातावरण भक्तिमय हो गया है. यह मास शिव और उनके साथ उनके परिवार समर्पित है. सावन मास में सोमवार का पूजन तो कल्याणकारी है ही इसके अलावा प्रदोष, मासशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विशेष पूजन किया जाता है. इस बार शुद्ध सावन मास के कृष्णपक्ष में प्रदोष एवं मासशिवरात्रि का योग एक दिन पड़ रहा है. इस योग का मतलब दोनों तिथि का एक साथ मिलना है जो शिव भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी रहेगा. जानें प्रदोष व्रत कब है? शुभ योग और शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित जातकों के लिए कैसे है लाभकारी.

प्रदोष के साथ मासशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त

कब बन रहा है प्रदोष के साथ मासशिवरात्रि

15 जुलाई 2023 दिन शनिवार को यह योग बन रहा है .

क्या है प्रदोष का पूजा मुहूर्त

शनि कृष्ण प्रदोष 15 जुलाई 2023 संध्या 06:43 मिनट से 08:32 तक पूरा अवधि 01 :49 मिनट का रहेगा .

त्रयोदशी तिथि का शुरूआत 14 जुलाई 2023 दिन शुक्रवार संध्या 07:17 से, त्रयोदशी तिथि का समाप्त 15 जुलाई 2023 दिन शनिवार रात्रि 08:32 तक रहेगा.14 जुलाई 2023 प्रदोष की तिथि नहीं मिल रहा है इसलिए यह व्रत 15 जुलाई 2023 को किया जायेगा .

सावन शनि प्रदोष व्रत 2023 पूजा विधि

  • सावन प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनकर पूजा करें.

  • इसके बाद पूजा घर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें.

  • पूरे दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-आराधना करें.

  • फिर शाम को प्रदोष काल में पूजा के समय दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें.

  • भगवान शिव को भांग, धतूरा, बेलपत्र पुष्प और नैवेद्य शिवलिंग पर चढ़ाएं.

  • इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति के पास दीपक जलाकर प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। अंत में भगवान शिव की आरती करके पूजा समाप्त करें.

प्रदोष व्रत का फल

अलग अलग दिन के अनुसार प्रदोष व्रत का अलग महत्व होता है. माना जाता है यह व्रत जिस दिन को पड़ता है उसके अनुसार इसका नाम और महत्व और बढ़ जाता है. यह व्रत बहुत ही शुभ और कल्याणकारी माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से जातक के सभी कष्ट दूर होते हैं.

प्रदोष काल कब होता है ?

संध्या काल में यानि सूर्यास्त के बाद तथा रात्रि आने के पहले का जो समय होता है वह प्रदोष काल कहा जाता है. प्रदोष काल सूर्यास्त के 45 मिनट पूर्व से सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का माना जाता है. प्रदोष व्रत की तिथि प्रत्येक महीने में दो बार पड़ती है. पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष में इस तिथि के दिन संध्या काल यानि प्रदोष काल में भगवान शिव प्रदोष के समय कैलाश पर्वत पर स्थिति अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं. इसी वजह से लोग भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत करते हैं. इस व्रत करने से सारे कष्ट दूर होते हैं.

संतान के लिए विशेष लाभकारी

सावन मास में प्रदोष व्रत करना बहुत ही मंगलकारी होता है भगवान शिव की कृपा बनी रहता है. शनिवार के दिन अगर प्रदोष के साथ मास शिवरात्रि पड़ता है उस दिन पूजन करने से संतान को लाभ मिलता है. सावन मास साल का पांचवा महीना होता है, जो कुंडली के पांचवे भाव प्रेम, संतान, पूर्वपुण्य और इस्ट देवता का होता है इसलिए इस दिन पूजन करने से सभी फल प्राप्त होते हैं. वैसे लोग जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रहा है उन्हें इस दिन भगवान शिव का पूजन करना चाहिए. ऐसा करने से शनि के साढ़ेसाती तथा ढैया का प्रभाव कम हो जाता है.

शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही तो इस दिन करें पूजा

शनि प्रदोष के दिन भगवान शिव का पूजन करें तो शनि के साढ़ेसाती और ढैया से राहत मिलती है और सभी रूके हुए कार्य पूर्ण होते हैं. इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कुंआरी कन्याएं अगर इस दिन व्रत के साथ भगवान शिव का पूजन करें तो उनको मनवांछित वर मिलता है और उनका विवाह उच्च कुल में होता है.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

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