Sawan Vinayak Chaturthi 2024: आज रखा जाएगा सावन मास की विनायक चतुर्थी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि, आरती और महत्व
Sawan Vinayak Chaturthi 2024: सावन मास की विनायक चतुर्थी पूजा शिव योग और रवि योग में की जाएगी. विनायक चतुर्थी का व्रत रखकर विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है.
Sawan Vinayak Chaturthi 2024: सावन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि कल 8 अगस्त दिन गुरुवार को है. इस दिन विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. प्रत्येक मास की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित है. विनायक चतुर्थी का व्रत रखकर विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस साल सावन विनायक चतुर्थी के व्रत के दिन शिव योग और रवि योग बन रहा है. इसके साथ ही इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र भी है. विनायक चतुर्थी व्रत के दौरान चंद्रमा को देखना वर्जित है. कहा जाता है कि विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखने से व्यक्ति पर गलत आरोप लगते हैं. वह झूठे कलंक का भागी बनता है. इसलिए विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा नहीं देखते हैं. धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी व्रत करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. आइए जानते हैं सावन की विनायक चतुर्थी व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी
सावन विनायक चतुर्थी 2024 कब है?
पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 7 अगस्त 2024 दिन बुधवार की रात 10 बजकर 05 मिनट पर होगी. वहीं श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की समाप्ति 8 अगस्त 2024 दिन गुरुवार की देर रात 12 बजकर 36 मिनट पर होगी. वहीं उदयातिथि के अनुसार, सावन की विनायक चतुर्थी 8 अगस्त को है. 8 अगस्त दिन गुरुवार को चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा.
सावन विनायक चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त
विनायक चतुर्थी व्रत पूजा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक है. इस साल सावन की विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के लिए 2 घंटे 40 मिनट का शुभ मुहूर्त है. आप इस समय में पूजा कर सकते है.
शुभ योग में सावन विनायक चतुर्थी 2024
सावन मास की विनायक चतुर्थी पूजा शिव योग और रवि योग में की जाएगी. विनायक चतुर्थी व्रत पूजा सुबह से 12 बजकर 39 मिनट तक शिव योग में की जाएगी, उसके बाद सिद्ध योग रहेगा. वहीं रवि योग शाम 5 बजकर 47 मिनअ से रात 11 बजकर 34 मिनट तक रहेगा.
विनायक चतुर्थी पर न देखें चंद्रमा
विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा का उदय रात्रि 8 बजकर 59 मिनट पर होगा. वहीं, चंद्रमा का अस्त रात्रि 9 बजकर 21 मिनट पर होगा. विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखने की मनाही है, क्योंकि इस दिन देखने से झूठा कलंक लगता है. इसलिए इस दिन चंद्रमा को देखना वर्जित माना जाता है.
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विनायक चतुर्थी महत्व
विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है. इस व्रत से होने वाला कष्ट साधक को जीवन भर के कार्यों में सफल बनाता है.
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
विनायक चतुर्थी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर भगवान गणेश जी का स्मरण करें. इसके बाद घर के पूजा स्थल या मंदिर को अच्छी तरह साफ कर लें. अब एक चौकी पर साफ पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर रखें, भगवान गणेश की मूर्ति के सामने घी और धूप का दीपक जलाएं और रोली, चावल से भगवान गणेश का तिलक करें. फिर फूल, फल और मिठाई अर्पित करें. इसके बाद भगवान गणेश को दूर्वा घास, मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद का वितरण करें.
गणेश जी की आरती Ganesh Ji Ki Aarti
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥