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Shadi ke Upay: अगर शादी के नहीं बन रहे योग, तो अजमाए यह  3 उपाय, होगी होगी चट मंगनी पट ब्याह

Shadi ke Upay: शादी जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव और सामाजिक अनुष्ठान है, जिसमें दो व्यक्तियों की आत्मिक और सामाजिक एकता स्थापित होती है. यह धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का प्रकटीकरण है. शादी के विविध पहलुओं में विवाह संबंधी आयुष्य भर की समृद्धि और शुभता की कामना शामिल है.

By Kajal Kumari | June 30, 2024 1:07 PM
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Shadi ke Upay: शादी में अड़चनें आने या अच्छे जीवनसाथी प्राप्ति में देरी होने के कई कारण हो सकते हैं, जिन्हें शास्त्रों में विस्तार से वर्णित किया गया है.  इनमें से एक है शीघ्र विवाह के विशेष उपाय, जिन्हें अपनाकर विवाह सम्बंधित समस्याओं का समाधान किया जा सकता है.  इन उपायों में से कुछ ऐसे हैं जैसे व्रत और पूजन, जिनके माध्यम से जीवनसाथी के लिए अच्छे योग को बढ़ाया जा सकता है. ये प्राचीन उपाय धार्मिक और सामाजिक मान्यता के साथ-साथ, विवाह सम्बंधित समस्याओं के हल तक पहुंचने में मदद करते हैं. वेदों और तंत्रों में उल्लिखित शीघ्र विवाह के उपाय विभिन्न शक्तिपीठों और तीर्थ स्थलों से जुड़े होते हैं, जो विवाह संबंधित अड़चनों को दूर करने में सहायक सिद्ध होते हैं.  इन विशेष उपायों के माध्यम से श्रद्धालु विवाह विचारों में सुधार कर सकते हैं और शुभ विवाह संपन्न कर सकते हैं.  इस प्रकार, शास्त्रीय उपाय न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होते हैं बल्कि समाज में विवाह संबंधित समस्याओं को हल करने में भी सहायक साबित हो सकते हैं

शादी के उपाय

  • भारतीय पौराणिक कथाओं में, श्वेतार्क पौधा भगवान गणेश जी का प्रतीक माना जाता है.  इसके फूलों को खासकर भगवान शिव को बहुत प्रिय माना जाता है.  सोमवार के दिन शिवलिंग पर श्वेतार्क के फूल और पत्ते, जिनमें “राम” का नाम लिखा हो, भोलेनाथ को चढ़ाया जाता है.  इस रीति से सम्बंधित मान्यता है कि यह शुभ घटनाओं को लाने में मददगार साबित होती है, विशेषकर शीघ्र विवाह के योग बनाने में.  श्वेतार्क पौधा, जिसे आक या मदार भी कहा जाता है, हिंदू धर्म की परंपराओं में गहरा धार्मिक महत्व रखता है.  इसका उपहार भगवान गणेश के साथ ही उसके औषधीय और धार्मिक उपयोगों के लिए भी बड़ी सराहना है.  सोमवार को इस पौधे के फूल और पत्तों का शिवलिंग पर अर्पण करना, प्राचीन धार्मिक विश्वास के अनुसार, परंपरागत संस्कृति को दर्शाता है और इसे मान्यता देता है कि इससे विवाह की शुभ घटना के लिए अनुकूल परिस्थितियां बन सकती हैं.  इस प्रचीन रीति ने हिंदू धर्म की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अद्वितीय रूप से दर्शाया है, जिसमें ईश्वरीय आशीर्वाद और शुभ आरंभ के लिए समर्पित रीति-रिवाजों और उपहारों की महत्वपूर्ण भूमिका है.

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  • विवाह के बंधन में बधाईयों को पार करने के लिए एक प्राचीन मंत्र ‘दुर्गा सप्तशती’ में प्रस्तुत किया गया है, जो विवाहित जीवन की समृद्धि और सुख-शांति के लिए प्रेरणा स्थापित करता है.  इस मंत्र का उपयोग विवाह में आए बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है, जो विवाह संस्कार को अदृश्य रूप से प्रभावित कर सकती हैं.  मंत्र में उल्लिखित देवी दुर्गा की कृपा के लिए प्रार्थना करते हुए, विवाही जोड़े को समृद्ध और सुखद जीवन की प्राप्ति हेतु आशीर्वाद प्राप्त होता है.  यह मंत्र विवाहित जोड़े के लिए एक आध्यात्मिक विश्वास को दर्शाता है, जो प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में उपलब्ध है.  इसका प्रयोग विवाह संस्कार में उत्कृष्टता और विशेष परिपूर्ति के लिए किया जाता है, जिससे विवाही जीवन के हर कठिनाई को सहन करने की क्षमता मिलती है.  यह आध्यात्मिक संदेश समाज में विवाह के संस्कार की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है, जो प्रेम और सम्बंधों के मजबूतीकरण के लिए एक शक्तिशाली माध्यम साबित होता है.
  • जिन कन्याओं के विवाह के लिए अच्छा वर नहीं मिल रहा है, उन्हें विवाह सम्बंधित समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए अनेक परंपरागत उपायों की सलाह दी जाती है.  इनमें से एक है सोलह सोमवार का व्रत, जिसे कन्याएं विशेष मानती हैं.  इस व्रत में वह सोमवार को व्रत रखती हैं और मांगलिक विवाह के लिए प्रार्थना करती हैं.  वेदों में उल्लिखित इस व्रत का महत्व है और इसे विवाह संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए समझा जाता है.  इसके अतिरिक्त, अन्य उपायों में से एक है वट वृक्ष का महत्व.  वट वृक्ष का विवाह और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति के लिए अद्वितीय माना जाता है.  इस परंपरा के अनुसार, कन्याएं वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और विवाह संबंधित आशाएं रखती हैं.  यह प्राचीन रीति-रिवाज उन्हें धार्मिक और सामाजिक मान्यता देने के साथ-साथ, विवाहित जीवन के लिए शुभ और सकारात्मक भविष्य की कामना करने में मदद करती है.
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