ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 27 नक्षत्र में से 23वां धनिष्ठा नक्षत्र है. यह नक्षत्र सबसे धनवान होता हैं. इस नक्षत्र के स्वामी मंगल और देवता वसु है. यदि आपका जन्म धनिष्ठा नक्षत्र में हुआ है तो आपकी राशि मकर या कुंभ होगी. वैदिक ज्योतिष में शनिदेव के गोचर को बहुत बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके नक्षत्र परिवर्तन से सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ता हैं. 15 अक्टूबर 2023 को शनिदेव राहु के नक्षत्र शतभिषा से निकलकर धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल है तो शनि की मंगल के साथ शत्रुता मानी जाती है. इसलिए शनि के इस गोचर से कई राशियों पर नकारात्मक एवं सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. आइए जानते है ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री से धनिष्ठा नक्षत्र क्या है और इसकी क्या खासियत होती है.
ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र होते है. 27 में से 23वां नक्षत्र धनिष्ठा है. सामान्य अर्थों में समझे तो धनिष्ठा का अर्थ होता है, सबसे पहले या धनवान. इस नक्षत्र के स्वामी मंगल और देवता वसु है. इस नक्षत्र में जन्में जातक जीवन में कई सारी उपलब्धियां हासिल करते हैं. इसके जीवन कभी भी पैसे की तंगी नहीं होती है.
शनि के नक्षत्र परिवर्तन से मेष और वृश्चिक यानी मंगल के स्वामित्व वाली राशियों को लाभ होगा. वहीं शनि की राशियां मकर और कुंभ के जातकों के लिए यह शुभ रहने वाला है. इसके साथ ही मिथुन और सिंह राशि के लिए भी समय अच्छा रहेगा. लेकिन शर्त यह है कि इन राशियों के लोगों की कुंडली में मंगल शुभ हो तो वह हमेशा जोशपूर्ण और उत्साहित रहते है. साथ ही वह साहसिक फैसला ले सकते हैं. शैक्षणिक क्षेत्र, पुलिस, आईबी व खेलकूद से जुड़े जातकों को विशेष लाभ मिलती है.
कर्क, कन्या, धनु व मीन राशि के जातकों के लिए यह समय परेशानी भरा रह सकता है. इन राशि के जातकों के ऊपर नकारात्मक परिणाम मिल सकता है. मंगल और शनि का प्रभाव आपको गलत कार्यों की ओर प्रेरित कर सकता है. जीवन साथी से विवाद हो सकता है. इसके वजह से परिवार में कुछ रिश्ते टूट सकते हैं, उनका भी बचाव करना चाहिए. लड़ाई- झगड़ा और कोर्ट कचहरी के मामले भी आपके जीवन में समस्या उत्पन्न कर सकती हैं. इनसे आपको बचकर रहने की जरुरत रहेगी. आपके जीवन में आर्थिक समस्या बनी रह सकती है. इस अवधि में किसी भी तरह का गलत काम ना करें अन्यथा शनि के प्रकोप का भी सामना करना पड़ सकता है. उपरोक्त चीजों से बचाव करने पर आप नकारात्मक परिणाम से बच सकते हैं.
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शनि के नक्षत्र परिवर्तन से बचने के लिए आपको हर मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का पाठ करें. शनिवार के दिन शमी के वृक्ष में जल अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही शनि मंदिर में छाया दान करें. इस समय आपको झूठ, बेईमानी एवं साजिश से दूर रहें. कर्मफल दाता शनि इस अवध में बहुत सक्रिय होंगे और गलत काम की सजा तत्काल मिल सकती है. इसीलिए आपको शनिदेव की नियमित रूप से पूजा-अर्चना करनी चाहिए. मंगलवार के दिन अच्छा रेवाड़ी, मिश्री और मसूर की दाल का दान करने से आपको लाभ हो सकता है. इसके साथ ही क्रोध, वाद-विवाद, लड़ाई-झगड़ा से दूर रहें अन्यथा आपको इसके दुष्परिणाम भोगने पड़ सकते हैं. यदि इन चीजों से आप बचाव करते रहे तो आपका जीवन कल्याणकारी व सुखमय रहेगा.
धार्मिक ग्रंथों में शनि देव को न्याय का देवता बताया गया है. कहते हैं कि इंसान ही नहीं, देवता भी उनके प्रकोप से डरते हैं. किसी भी जीवन को बर्बाद करने के लिए शनि की बुरी दृष्टि ही काफी होती है. मान्यता के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनि देव देते हैं. कहा जाता है कि व्यक्ति को जीवन में कोई भी ऐसे काम नहीं करने चाहिए, जिससे शनि देव नाराज हों जाए.
अगर आप अपने जीवन में किसी भी गरीब-असहायों का अपमान और परेशान करते है, उन्हें शनि देव की प्रकोप का सामना करना पड़ता हैं. खासतौर से दृष्टिहीनों और दिव्यांगों के साथ किया गया गलत बर्ताव शनि देव को नाराज कर देता है, जिसके कारण मनुष्य के जीवन में शनि की साढ़ेसाती का प्रकोप झेलना पड़ता हैं.
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, बताया गया है कि गंदे नाखून रखने वाले लोग भी बदहाली में जिंदगी गुजारते हैं. ऐसे लोगों से शनिदेव हमेशा नाराज रहते हैं. इसके साथ ही उनके जीवन में कई तरह की समस्या खड़ी कर देते हैं. महिलाओं और बुजुर्गों का अपमान करने वाले लोगों पर भी शनि के प्रकोप का प्रभाव देखने को मिल सकता है.
शराब और मांस आदि का सेवन करने से भी शनि की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे लोगों की जन्म कुंडली में शनि ग्रह कमजोर अवस्था में होती है. और जातक के जीवन में बुरे फल देना शुरू कर देते हैं.
मान्यता है कि भोजन करते हुए कुत्ते को गलती से भी न सताएं. नहीं तो ऐसा करने से शनिदेव नाराज हो जाते हैं और जातक के जीवन में कोहराम मचा देते हैं, उनका मानसिक स्थिति सामान्य नहीं होता हैं.
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शनिदेव हमेशा नाराज रहते है, जो दूसरे के धन पर बुरी नजर रखते है. इसके साथ ही चोरी करने वाले या फिर दूसरों का पैसा हड़पने वाले लोगों को भी शनिदेव माफ नहीं करते और उन्हें राजा से रंक बना देते है.