Shani Sade Sati: शनिदेव जब किसी राशि के दूसरे और 12वें भाव या राशि में रहते हैं तो उस राशि पर शनि का साढ़ेसाती शुरू हो जाती है. इतना ही साढ़ेसाती का प्रभाव तीन चरणों का होता है, जो ढाई-ढाई साल का तीन चरण होता है. इस तरह से साढ़ेसाती की पूर्ण अवधि साढ़े सात साल की होती है. वहीं जब शनि देव गोचर करके जन्मकालीन राशि से चतुर्थ या अष्टम भाव में स्थित होते हैं तो इसे शनि ढैय्या कहा जाता है. शनि ढैय्या की अवधि ढाई वर्ष की होती है. ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या को अशुभ व कष्टदायक माना गया है.
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या कष्टदायक
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या को कष्टदायक माना जाता है. हालांकि कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार ही ढैय्या और साढ़ेसाती का अच्छा या बुरा फल मिलता है. कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के कारण व्यक्ति को आर्थिक, मानसिक, पारिवारिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के उपाय भी बताए गए हैं.
शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण सबसे ज्यादा कष्टकारी
शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण सबसे ज्यादा कष्टकारी होता है, जब शनि बारहवें घर से पहले या मूल चंद्र घर में जाते हैं. यह चरण जातक को धन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जातक भारी कर्ज में डूब सकता है, इसके अलावा गलतफहमियों के कारण गंभीर वाद-विवाद और रिश्तों के टूटने के योग बन सकते हैं. इसके अलावा धन से जुड़ी परेशानियां के साथ आंखों से जुड़ी प्रॉब्लम होती है.
साढ़ेसाती से बचने के उपाय
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि शनि की साढ़े साती के प्रभाव से बचाव के लिए शनिवार के दिन काले जूते, चमड़े के चप्पल, सरसों का तेल, नमक, लोहा, अनाज और बर्तन का दान करना चाहिए. इसके साथ ही धन का भी दान कर सकते हैं. हर शनिवार को स्नान-ध्यान के बाद जल में काले तिल मिलाकर देवों के देव महादेव का अभिषेक करें.
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शनि दोष दूर करने के आसान उपाय
शनि कर्म भाव के स्वामी है. शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए अच्छे कर्म करना चाहिए.शनि दोष से राहत पाने के लिए शनिवार का व्रत रखना चाहिए. इसके साथ ही हनुमान की पूजा करें. शनि मंत्र और दान भी शनि दोष से राहत पाने का प्रमुख उपाय है.
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