Sharad Purnima 2020, Date & Timing, Shubh Muhurat, Puja Vidhi: अमृतसिद्धि योग से शरद पूर्णिमा की शुरूआत 30 अक्टूबर शाम 5.45 बजे से हुई. जिसके बाद मध्य रात्रि में अश्विनी नक्षत्र की शुरूआत हो गयी. इस दौरान रात भर आसमान से होती रही अमृत वर्षा. अब यह पर्व आज रात 8.18 बजे समाप्त हो जायेगी.
मान्यता है कि इस दिन रात की चांदनी में दूध व खीर रखने से चांद की अमृत किरणें पड़ती हैं. मध्य रात्रि के बाद इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
देवी मंदिर के पुजारी अमित तिवारी ने बताया कि कि शरद पूर्णिमा को मोह रात्रि कहा गया है. इसका उल्लेख देवी भागवत के शिव लीला कथा में मिलता है. कथानक के अनुसार शरद पूर्णिमा पर महारास के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने शिव-पार्वती का निमंत्रण भेजा. माता पार्वती ने जब शिव से आज्ञा मांगी, तो शिव ने मोहित होकर स्वयं ही वहां जाने की इच्छा व्यक्त की, इसलिए इस रात्रि को मोह रात्रि कहा जाता है. बंगला भाषी समुदाय इस दिन लक्खी पूजा करेंगे. इस दौरान रातभर लक्ष्मी की पूजा की जायेगी. इस रात मध्य आकाश में स्थित चंद्रमा की पूजा करने का भी विधान है.
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शरद पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 30 अक्टूबर की शाम 5. 45 बजे से
शरद पूर्णिमा तिथि समाप्त : 31 अक्टूबर की रात 8.18 बजे तक
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पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखकर अगले दिन उसका सेवन करने का विधान है. खीर गाय के दूध से बनानी चाहिए. फिर चांदी के बर्तन में रखना ज्यादा उत्तम रहता है. चांदी का बर्तन न होने पर किसी भी पात्र में उसे रख सकते हैं. खीर कम से कम चार घंटे चंद्रमा की रोशनी में रखना चाहिए. इससे उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं. खीर में कीड़े न पड़ें उसके लिए सफेद झीने वस्त्र से ढकना चाहिए. अगले दिन भगवान लक्ष्मीनारायण को भोग लगाने के बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करना चाहिए.
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शरद पूर्णिमा में माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. उनके आठ रूप हैं, जिनमें धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, राज लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, कमला लक्ष्मी एवं विजय लक्ष्मी है. सच्चे मन से मां की अराधना करने वाले भक्तों की सारी मुरादें पूरी होती हैं.
Posted By : Sumit Kumar Verma