Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा 2024 पर मिलेगी देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद, जानें इस दिन चांद की पूजा का महत्व

Sharad Purnima 2024: हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सम्पूर्ण कलाओं के साथ चमकता है और यह विश्वास किया जाता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फलदायी होता है. विशेष रूप से, धन से संबंधित समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए इस दिन कुछ विशेष वस्तुओं का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

By Shaurya Punj | October 14, 2024 12:46 PM

Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा को आश्विन पूर्णिमा भी कहा जाता है. यह हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण धार्मिक दिन है. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, इस दिन देवी लक्ष्मी का समुद्र से अवतरण हुआ था. शरद पूर्णिमा की रात चांद अपनी पूरी भव्यता में होता है, जिसमें सभी सोलह कलाएं (चांद की अवस्थाएं) होती हैं. यह दिन देवी लक्ष्मी की पूजा और चांद की आराधना के लिए खास होता है.

शरद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है ?

मान्यता है कि जो लोग शरद पूर्णिमा को पवित्र जल में स्नान करते हैं, दान करते हैं, और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उन्हें समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है. यह भी कहा जाता है कि इस रात चांद की रोशनी में रहना विभिन्न बीमारियों को ठीक करता है.

शरद पूर्णिमा 2024 कब है? स्नान और दान मुहूर्त

शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी.इस दिन हिंदू कोजागर व्रत या कौमुदी व्रत रखते हैं.
आश्विन पूर्णिमा शुरू: 16 अक्टूबर, रात 8:40 बजे
आश्विन पूर्णिमा समाप्त: 17 अक्टूबर, दोपहर 4:55 बजे
स्नान और दान मुहूर्त: 17 अक्टूबर, सुबह 4:43 बजे से 5:33 बजे तक (क्योंकि पूर्णिमा स्नान उदयातिथि में शुभ माना जाता है)
चांद उगने का समय: 5:05 PM
लक्ष्मी पूजा का समय: 16 अक्टूबर, रात 11:42 बजे से 17 अक्टूबर, रात 12:32 बजे तक

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा की रात, मान्यता है कि देवी लक्ष्मी धरती पर आती हैं और पूछती हैं, “कौन जागता है?” (कोजागर पूजा). जो लोग इस रात लक्ष्मी पूजा करते हैं और जागते हैं, उन्हें धन का अपार आशीर्वाद मिलता है.

शरद पूर्णिमा का भगवान कृष्ण से भी कनेक्शन

इस दिन का एक और विशेष महत्व है “महारा लीला”, जो भगवान कृष्ण और वृंदावन की गोपियों के बीच हुई थी.कृष्ण की दिव्य नृत्य कला इतनी मोहक थी कि भगवान शिव भी उसे देखने के लिए गोपी के रूप में प्रकट हुए.माना जाता है कि इस रात भगवान कृष्ण की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख दूर होते हैं.

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

इस रात चांद को बड़ा और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन चांद की रोशनी से अमृत बरसता है.इस दिन पारंपरिक खीर (दूध और चावल से बनी मीठी डिश) बनाई जाती है और उसे चांद की रोशनी में रात भर रखा जाता है. इससे चांद के औषधीय और दिव्य गुण इस खीर में आ जाते हैं. जिसके सेवन से व्यक्ति निरोगी होता है. सफेद रंग के खाद्य पदार्थ जैसे दूध और चावल चांद और शुक्र ग्रह से जुड़े होते हैं.विशेष रूप से चांदी के बर्तन में बनाई गई खीर का सेवन चांद और शुक्र को मजबूत करने के लिए माना जाता है.

शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी को दिव्य अमृत बरसाने वाला माना जाता है, जो सभी जड़ी-बूटियों और पौधों को समृद्ध करता है. इसी वजह से इस पवित्र रात में चांद की रोशनी में समय बिताना बहुत लाभकारी माना जाता है.इस प्रकार, शरद पूर्णिमा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशी की कामना का भी प्रतीक है.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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