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नवरात्रि में ये काम करना न भूले
नवरात्रि में पूजा के समय प्रतिदिन माता को शहद और इत्र चढ़ाना ना भूलें. नौ दिन के बाद जो भी शहद और इत्र बच जाएं उसे उसे प्रतिदिन माता का स्मरण और ध्यान करते हुए स्वयं इस्तेमाल करें, मां दुर्गा की आप के ऊपर सदैव कृपा दृष्टि बनी रहेगी.
शहद का लगाए भोग
नवरात्रि में मां दुर्गा को शहद का भोग लगाने से भक्तों को सुन्दर रूप प्राप्त होता है और उनके व्यक्तित्व में तेज प्रकट होता है.
नवरात्र में मां के नौ रूप की होती है पूजा
17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा
इस बार आठ दिनों में ही बीत जाएंगे नवरात्र
इस बार नवरात्र आठ दिन के होंगे, अष्टमी और नवमी तिथियों को दुर्गापूजा एक ही दिन होगी. 24 अक्तूबर को सवेरे छह बजकर 58 मिनट तक अष्टमी है और उसके बाद नवमी लग जाएगी.
देवीय सिद्धियों के लिए खास होता है समय
नवरात्र के त्योहार को परम पावन माना जाता है. इस दौरान देवी के सुंदर नौ रूपों की आराधना की जाती है. नवरात्र में देवी की उपासना करने से भक्त को शक्तियों की प्राप्ति होती है. ज्योतिष या देवीय सिद्धियां प्राप्त करने के लिए इस समय को बहुत खास माना गया है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में देवी इतनी अधिक प्रसन्न होती हैं कि अपने भक्तों को उनकी इच्छा के अनुसार फल देती है, मनोकामनाएं पूरी करती हैं और घर-परिवार में शुभता लाती हैं.
दशहरे के दिन ये काम जरूर करना चाहिए
दशहरे के दिन यदि आपको रावण दहन के बाद बची हुई लकड़ियां मिल जाए तो आप उसे अपने घर में लाकर अवश्य सुरक्षित रखें. ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
दशहरे के दिन करें अस्त्र शस्त्र की पूजा
दशहरे के दिन अस्त्र शस्त्र की पूजा करना चाहिए. इस दिन पूजा को बहुत महत्व दिया जाता है, इसलिए यदि आपके पास किसी भी तरह का अस्त्र शस्त्र हो तो उसकी पूजा अवश्य करें.
घोड़े की सवारी को नहीं माना जाता है शुभ संकेत
मान्यता है कि घोड़े पर मां दुर्गा का आना शुभ संकेत नहीं होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि घोड़े को जंग का प्रतीक माना जाता है. ज्योतिषों की मानें तो घोड़े पर देवी दुर्गा का आना पड़ोसी देशों से युद्ध के संकेत दे रहा है, इसके अलावा, राजनीति में भूचाल आने की संभावना भी बढ़ रही है. सत्ता में कुछ अप्रत्याशित होने की आशंका है.
मां दुर्गा की सवारी से तय होता है वर्षभर होने वाली घटनाओं का आंकलन
मा दुर्गा इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी. मां दुर्गा की सवारी से तय होता है वर्षभर होने वाली घटनाओं का आंकलन होता है. देवी भागवत पुराण के अनुसार माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार साल भर होने वाली घटनाओं का भी आंकलन किया जाता है. इस बार नवरात्रि 17 अक्टूबर दिन शनिवार से शुरू हो रहा है. शनिवार के दिन नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण इस दिन मां दुर्गा घोड़े की सवारी करते हुए पृथ्वी पर आएंगी.
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इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि करीब एक महीने की देरी से शनिवार 17 अक्टूबर से आरंभ हो रहे हैं. शनिवार के दिन नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण इस दिन मां दुर्गा घोड़े की सवारी करते हुए पृथ्वी पर आएंगी. देवी भागवत पुराण के अनुसार जब माता दुर्गा नवरात्रि पर घोड़े की सवारी करते हुए आती हैं तब पड़ोसी से युद्ध, गृह युद्ध, आंधी-तूफान और सत्ता में उथल-पुथल जैसी गतिविधियां बढ़ने की संभावना रहती है.
जानें कलश स्थापना की विधि
सुबह स्नान कर साफ सुथरें कपड़े पहने, इसके बाद एक पात्र लें. उसमें मिट्टी की एक मोटी परत बिछाएं. फिर जौ के बीज डालकर उसमें मिट्टी डालें. इस पात्र को मिट्टी से भरें. इसमें इतनी जगह जरूर रखें कि पानी डाला जा सके. फिर इसमें थोड़े-से पानी का छिड़काव करें.
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन आश्चिन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी. इस दिन घट स्थापना मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
पूजा की सामग्री की लिस्ट
लाल चुनरी, लाल वस्त्र, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, धूप और अगरबत्ती, माचिस, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, नारियल, कलश, चावल, कुमकुम, फूल, फूलों का हार, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग-इलायची, बताशे, कपूर, उपले, फल-मिठाई, कलावा और मेवे.
मां के 9 स्वरूपों की होती है पूजा
नवरात्रि में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है. ये सभी मां के नौ स्वरूप माना जो हैं. प्रथम दिन घटस्थापना होती है. शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है. 9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है.
जानें किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा
17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा
कैसे करें कलश स्थापना व देवी आराधना
शारदीय नवरात्रि शक्ति पर्व है. हिन्दू धर्म में इस पर्व को विशेष महत्व बताया गया है. 17 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 45 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. नौ दिनों तक अलग-अलग माताओं की विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन, अखंड दीप साधना, व्रत उपवास, दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जाप करें. अष्टमी को हवन व नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करें.