Shardiya Navratri 2020, Date, Time, Shubh Muhurat, Rashifal, Mantra, Puja Vidhi : नवरात्रि (Navratri 2020) की शुरुआत इस बार 17 अक्तूबर से हो रही है. ऐसे में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जायेगी. आइये जानते हैं मां के नौ स्वरूप- मां शैलपुत्री (Shailputri), ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini), चंद्रघंटा (Chandraghanta), कुष्मांडा (Kushmanda), स्कंदमाता (Skandamata), कात्यायनी (Katyayani), कालरात्रि (Kalratri), महागौरी (Mahagauri) और सिद्धिदात्री (Siddhidatri) को पूजने की सही विधि, सामग्री और राशि के अनुसार मंत्र्त्रोचार समेत अन्य सभी जानकारियां.
दरअसल, इस बार दुगा मां की पूजा 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है. इस मामले के जानकार और प्रसिद्ध पंडित डॉ. त्रिपाठी जी की मानें तो इस बार की नवरात्रि पूरे नौ दिन की होगी. आम तौर पर देखा गया है कि कभी यह सात तो कभी आठ दिन में समाप्त हो जाती है.
-
मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना : 17 अक्टूबर
-
मां ब्रह्मचारिणी पूजा : 18 अक्टूबर
-
मां चंद्रघंटा पूजा : 19 अक्टूबर
-
मां कुष्मांडा पूजा : 20 अक्टूबर
-
मां स्कंदमाता पूजा : 21 अक्टूबर
-
षष्ठी मां कात्यायनी पूजा : 22 अक्टूबर
-
मां कालरात्रि पूजा : 23 अक्टूबर
-
मां महागौरी दुर्गा पूजा : 24 अक्टूबर
-
मां सिद्धिदात्री पूजा : 25 अक्टूबर
माता दुर्गा की आराधना 17 से 25 अक्टूबर तक श्रद्धा एवं भक्तिभाव से की जायेगी. आपको बता दें कि 58 वर्ष बाद यह दुर्लभ योग बन रहा है. ज्योतिषाचार्य पंडित विजय कुमार पांडेय की मानें तो पूरे 58 वर्ष के बाद शनि, मकर में और गुरु, धनु राशि में रहेंगे. इससे पहले यह योग वर्ष 1962 में बना था. उस समय 29 सितंबर से नवरात्रि शुरू हुआ था.
Also Read: Chardham Yatra 2020 Update : ऐसे करें चारधाम यात्रा, यहां से लें e-pass, जानें Guidelines, बढ़ाई गयी यात्रियों की संख्या
शनिवार, 17 अक्टूबर से मां दुर्गा की नौ दिवसीय पर्व नवरात्रि शुरू हो जायेगी. इस दिन सूर्य का राशि परिवर्तन भी होना है. विशेषज्ञों की मानें तो इस दिन सूर्य तुला में प्रवेश करेंगे. इस राशि से पहले वक्री बुध भी रहेगा. जिस कारण बुध और आदित्य का योग बनेगा.
Also Read: Shardiya Navratri 2020 : घोड़े पर आयेंगी मां, भैंस पर होंगी विदा, घोड़े पर आना क्यों अशुभ संकेत, किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा
अगर नवरात्रि की शुरूआत सोमवार या रविवार से शुरू हो तो इनका वाहन हाथी होता है. ठीक उसी तरह, शनिवार या मंगलवार से शुरू हो तो सवारी घोड़ा और गुरुवार एवं शुक्रवार शुरू हो तो सवारी डोली होती है. वहीं, बुधवार से शुरू होने पर मां का वाहन नाव होता है.
ऐसी मान्यता है कि मां का वाहन यदि घोड़ा हो तो पड़ोसी देशों से युद्ध, सत्ता में उथल-पुथल, रोग, शोक समेत अन्य आपदा संभव है. भैंस पर विदा होने को ज्योतिष शास्त्र में शुभ नहीं माना गया है.
ज्योतिषाचार्य की मानें तो अलग-अगल राशि के जातकों के लिए कई मायनों में फलदायक है. हालांकि, इस दौरान कुछ राशि के जातकों के कुछ मायनों में अशुभ भी हो सकता है.
-
मेष राशि : जातक के विवाह का योग बनेगी. प्रेम में सफलता मिलेगी.
-
वृष राशि : शत्रु पर विजय प्राप्त करेंगे. रोगों से छुटकारा मिलेगा.
-
मिथुन राशि : संतान सुख मिलेगा. नौकरी में उन्नति होगी. धन लाभ संभव है.
-
कर्क राशि : माता से प्रेम मिलेगा. घर में सुख शांति आयेगी. वैभव बढ़ेगा. कार्य में सफलता और सम्मान मिलेगा.
-
सिंह राशि : पराक्रम में वृद्धि होगी. भाई से सहयोग मिलेगा, मेहनत के फल की प्राप्ति होगी.
-
कन्या राशि : संपत्ति का लाभ होगा. घर में सुख शांति आयेगी.
-
तुला राशि : सोचे हुए कार्य का पूर्ण होंगे. मन प्रसन्नता से भरा रहेगा.
-
वृश्चिक राशि : अनावश्यक खर्च हो सकता है. पारिवारिक चिंता बढ़ेगी.
-
धनु राशि : कई मायनों में लाभ होगा. सुख शांति मिलेगी. चिंताएं दूर होंगी.
-
मकर राशि : मानसिक तनाव बढ़ेगा. अनावश्यक खर्च भी बढ़ने की संभावना है.
-
कुंभ राशि : भाग्य में वृद्धि होगी. साथी से मदद मिलेगी.
-
मीन राशि : शत्रुओं से परेशानी बढ़ेगी. दुर्घटना का भय बना रहेगा.
पंडित डॉ त्रिपाठी की मानें तो हर जातक को राशि के अनुसार देवी मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करनी होगी. श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा करने से माता प्रसन्न होकर सभी दुख को हर लेंगी.
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी.
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा नमोस्तुते..
‘मां मंगला देवी’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ महागौर्यै नम: / ॐ मंगला देवी नम: का जाप करें.
‘मां कात्यायनी’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ कात्यायनी नम:
‘मां दुर्गा’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ दुर्गाये नम:
‘मां शिवाधात्री’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ शिवाय नम:
‘मां भद्रकाली’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ कालरूपिन्ये नम:
‘मां जयंती’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ अम्बे नम: अथवा ॐ जगदंबे नम: का जाप करें.
मां के ‘क्षमा रूप’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ दुर्गादेव्यै नम: का जाप करें.
‘मां अम्बे’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ महागौर्यै नम: या ॐ अम्बिके नम:
‘मां दुर्गा’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ दूं दुर्गाये नम:
मां के ‘शक्ति रूप’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ दैत्य-मर्दिनी नम:
‘मां चामुण्डा’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ महागौर्यै नम: / ॐ चामुण्डायै नम:का जाप करें.
‘मां तुलजा’ की आराधना करें.
मंत्र जाप : ॐ तुलजा देव्यै नम:का जाप करें.
Posted By : Sumit Kumar Verma