Shardiya Navratri 2020 : मां की पूजा के बाद जरूर करें ये काम, जानिए पूजा विधि, कलश स्थापना के नियम और कैसे करें माता शैलपुत्री की पूजा…
Shardiya Navratri 2020, Subh Muhurat, Panchang, Rashifal : आज से नौ दिवसीय दुर्गा पूजन शुरू हो गया है. इस पर्व का हिन्दू धर्म का विशेष महत्व है. 17 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 45 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा की अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. आज कलश स्थापना के साथ देवी के नौ दिनों तक चलने वाली आराधना शुरू हो जाएगी. आइए जानते है नवरात्रि पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना की विधि समेत पूजा से जुड़ी पूरी जानकारी...
मुख्य बातें
Shardiya Navratri 2020, Subh Muhurat, Panchang, Rashifal : आज से नौ दिवसीय दुर्गा पूजन शुरू हो गया है. इस पर्व का हिन्दू धर्म का विशेष महत्व है. 17 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 45 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा की अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. आज कलश स्थापना के साथ देवी के नौ दिनों तक चलने वाली आराधना शुरू हो जाएगी. आइए जानते है नवरात्रि पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना की विधि समेत पूजा से जुड़ी पूरी जानकारी…
लाइव अपडेट
मां महागौरी
नवरात्र के आठवें दिन करें मां महागौरी की साधना- मिलेगा मनपसंद जीवन साथी व शीघ्र विवाह का बनेगा योग.
मंत्र : ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
प्रार्थना
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कालरात्रि
नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की साधना करने से व्यापार/रोजगार/सर्विस संबधी इच्छा पूर्ति होती है.
मंत्र : ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
प्रार्थना
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कात्यायनी
नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी साधना- धर्म, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति तथा भय का नाश होता है.
मंत्र : ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
प्रार्थना
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां स्कंदमाता
नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की साधना करने से कुंठा, कलह एवं द्वेष से मुक्ति मिलती है.
मंत्र : ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
प्रार्थना
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कूष्माण्डा
मां कूष्माण्डा की साधना करने से आयु, यश, बल व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
मंत्र : ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां चंद्रघंटा
मां चंद्रघण्टा की साधना करने से पाप-ताप व बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
मंत्र : ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
प्रार्थना
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां ब्रहा्रचारिणी
मां ब्रहा्रचारिणी की साधना करने से विजय एवं आरोग्य की होती है प्राप्ति.
मंत्र : ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
प्रार्थना
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां शैलपुत्री
शैलपुत्री साधना करने से भौतिक एवं आध्यात्मिक इच्छा पूर्ति होती है.
मंत्र : ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पहले दिन का भोग
प्रथम नवरात्रि के दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है. तथा शरीर निरोगी रहता है.
स्तोत्र पाठ
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥
मां चंद्रघंटा की आरती
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान॥
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।
करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥
मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ग्यान।
जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥
अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।
भव सागर में फसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥
नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥
Navratri 2020 : आज से नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को चढ़ाएं ये प्रसाद, जानें शैलपुत्री से कालरात्री तक किन्हें कौन सा भोग पसंद
जानें माता शैलपुत्री की पूजा करने के लिए शुभ समय
1. अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक.
2. दिवस मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक.
3. सायंकालीन मुहूर्त शाम 6:00 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक.
4. रात्रिकालीन मुहूर्त रात्रि 9:00 बजे से 12 बजकर 04 मिनट तक.
देवी शैलपुत्री की पूजा के लिए मंत्र
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्
Navratri 2020 : नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पढ़ना बेहद लाभकारी, कुंठा, कलह, द्वेष से मिलेगी मुक्ति, धन, ऐश्वर्य की होगी प्राप्ति
ये है माता शैलपुत्री का स्वरूप
माता शैलपुत्री के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है. मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं में कमल है. उनकी सवारी नंदी माने जाते हैं. देवी सती ने पर्वतराज हिमालय के घर पुर्नजन्म लिया और वह फिर वह शैलपुत्री कहलाईं. मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.
जानें माता शैलपुत्री मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।ॐ शैलपुत्रै नमः।
माता ब्रह्मचारिणी करें पूजा
माता दुर्गा का दूसरा स्वरूप पार्वतीजी का तप करते हुए हैं. इनकी साधना से सदाचार-संयम तथा सर्वत्र विजय प्राप्त होती है.
द्वितिया को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:', की माला दुर्गा जी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर हवन करें.
माता शैलपुत्री की पूजा विधि
आनवरात्रि प्रतिपदा के दिन कलश या घट स्थापना करें. इसके बाद दुर्गा पूजा का संकल्प लें. फिर माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करें. मां को अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प आदि अर्पित करें. मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करें. इसके बाद कपूर या गाय के घी से दीपक जलाएं. मां की आरती करें. शंखनाद के साथ घंटी बजाएं. मां को प्रसाद अर्पित करें. पूजा समाप्त होने के बाद घर में सभी को प्रसाद दें.
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आज होगी माता शैलपुत्री की पूजा
आज से नवरात्रि शुरू हो गई है. आज माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता दुर्गा का प्रथम रूप है. इनकी आराधना से कई सिद्धियां प्राप्त होती हैं. प्रतिपदा को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्ये नम:' की माला दुर्गा जी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर हवन करने पर सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.
नव दुर्गा देवी के मंत्र
1. शैलपुत्री- ह्रीं शिवायै नम:।
2. ब्रह्मचारिणी- ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
3. चन्द्रघण्टा- ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
4. कूष्मांडा- ऐं ह्री देव्यै नम:।
5. स्कंदमाता- ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
6. कात्यायनी- क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
7. कालरात्रि - क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
8. महागौरी- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
9. सिद्धिदात्री - ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा
17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा
Navratri 2020 Maa Shailputri Puja: आज नवरात्रि के पहले दिन करें माता शैलपुत्री की पूजा, जानें पूजा विधि, आरती और मंत्र...
मां के 9 स्वरूपों की होती है पूजा
नवरात्रि में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है. ये सभी मां के नौ स्वरूप माना जो हैं. प्रथम दिन घटस्थापना होती है. शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है. 9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है.
जानें पूजा की सामग्री की लिस्ट
लाल चुनरी, लाल वस्त्र, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, धूप और अगरबत्ती, माचिस, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, नारियल, कलश, चावल, कुमकुम, फूल, फूलों का हार, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग-इलायची, बताशे, कपूर, उपले, फल-मिठाई, कलावा और मेवे.
इस तरह से करें आज कलश स्थापना
शारदीय नवरात्रि शक्ति पर्व है. हिन्दू धर्म में इस पर्व को विशेष महत्व बताया गया है. 17 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 45 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. नौ दिनों तक अलग-अलग माताओं की विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन, अखंड दीप साधना, व्रत उपवास, दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जाप करें. अष्टमी को हवन व नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करें.
जानें कलश स्थापना की विधि
सुबह स्नान कर साफ सुथरें कपड़े पहने, इसके बाद एक पात्र लें. उसमें मिट्टी की एक मोटी परत बिछाएं. फिर जौ के बीज डालकर उसमें मिट्टी डालें. इस पात्र को मिट्टी से भरें. इसमें इतनी जगह जरूर रखें कि पानी डाला जा सके. फिर इसमें थोड़े-से पानी का छिड़काव करें.
कैसे करें कलश स्थापना व देवी आराधना
शारदीय नवरात्रि शक्ति पर्व है. हिन्दू धर्म में इस पर्व को विशेष महत्व बताया गया है. 17 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 45 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. नौ दिनों तक अलग-अलग माताओं की विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन, अखंड दीप साधना, व्रत उपवास, दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जाप करें. अष्टमी को हवन व नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करें.
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन आश्चिन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी. इस दिन घट स्थापना मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
जानें कलश स्थापना की विधि
सुबह स्नान कर साफ सुथरें कपड़े पहने, इसके बाद एक पात्र लें. उसमें मिट्टी की एक मोटी परत बिछाएं. फिर जौ के बीज डालकर उसमें मिट्टी डालें. इस पात्र को मिट्टी से भरें. इसमें इतनी जगह जरूर रखें कि पानी डाला जा सके. फिर इसमें थोड़े-से पानी का छिड़काव करें.
पूजा विधि
नवरात्रि में सुबह जल्दी उठना चाहिए और नित्यकर्म और स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और पूजा घर को साफ करें. इसके बाद नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना करने से पहले सभी तरह की पूजा सामग्रियों को एक जगह एकत्रित कर लें. इसके बाद मां दुर्गा की फोटो को लाल रंग के कपड़े में रखें. फिर पूजा की थाली को सजाएं उसमें सभी तरह की पूजा सामग्री को रखें. मिट्टी के पात्र में जौ के बीज को बोएं और नौ दिनों तक उसमें पानी का छिड़काव करें. नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर शुभ मुहूर्त में कलश को लाल कपड़े में लपटेकर स्थापित करें. कलश में गंगाजल डाले और आम की पत्तियां रखकर उस पर जटा नारियल रखें.
नारियल में लाल चुनरी को कलावा के माध्यम से बांधें. इसके बाद कलश को मिट्टी के बर्तन के पास जिसमें जौ बोएं है उसके पास रख दें. फूल- माला, रौली, कपूर, अक्षत और ज्योति के साथ मां दुर्गा की पूजा करें. यही प्रकिया रोज करें. नौ दिनों तक माँ दुर्गा का मंत्र का जाप करें और सुख-समृद्धि की कामना करें. अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं को घर पर बुलाकर उनका पूजन करें और उन्हें भोग लगाएं. नवरात्रि के आखिरी दिन मां दुर्गा की पूजा के बाद घट विसर्जन करें फिर बेदी से कलश को उठाएं .
राशिनुसार करें पूजा
मेष राशि वाले जातक 'मां मंगला देवी' की आराधना करें.
'ॐ मंगला देवी नम:' का जाप करें.
वृषभ राशि वाले जातक 'मां कात्यायनी' की आराधना करें.
'ॐ कात्यायनी नम:' का जाप करें.
मिथुन राशि वाले जातक 'मां दुर्गा' की आराधना करें।'ॐ दुर्गाये नम:' का जाप करें.
कर्क वाले जातक 'मां शिवाधात्री' की आराधना करें।
'ॐ शिवाय नम:' का जाप करें.
सिंह राशि वाले जातक 'मां भद्रकाली' की आराधना करें. 'ॐ कालरूपिन्ये नम:' का जाप करें.
कन्या राशि वाले जातक 'मां जयंती' की आराधना करें.
'ॐ अम्बे नम:' या ''ॐ जगदंबे नम:'' का जाप करें.
तुला राशि वाले जातक मां के 'क्षमा रूप' की आराधना करें.
'ॐ दुर्गादेव्यै नम:' का जाप करें.
वृश्चिक राशि वाले जातक 'मां अम्बे' की आराधना करें.
'ॐ अम्बिके नम:' का जाप करें.
धनु राशि वाले जातक 'मां दुर्गा' की आराधना करें.
'ॐ दूं दुर्गाये नम:' का जाप करें.
मकर राशि वाले जातक मां के 'शक्ति रूप' की आराधना करें.
'ॐ दैत्य-मर्दिनी नम:' का जाप करें.
कुंभ राशि वाले जातक 'मां चामुण्डा' की आराधना करें.
'ॐ चामुण्डायै नम:' का जाप करें.
मीन राशि वाले जातक 'मां तुलजा' की आराधना करें.
'ॐ तुलजा देव्यै नम:' का जाप करें.
News posted by : Radheshyam kushwaha