Shardiya Navratri 2024: कल से नवरात्रि होगी शुरु, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

Shardiya Navratri 2024: कल से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत होने जा रही है. आइए जानते हैं कलश स्थाShardiya Navratri 2024: कल से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत होने जा रही है. आइए जानते हैं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि पना का शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि

By Shaurya Punj | October 2, 2024 8:45 PM
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Shardiya Navratri 2024:  इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आरंभ कल 03 अक्टूबर से हो रहा है, जैसा कि ज्योतिष पंचांग में उल्लेखित है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है. यह मान्यता है कि जो व्यक्ति व्रत रखकर मां दुर्गा की आराधना करता है, उसके सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.  आइए जानते हैं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना का समय सुबह 6:15 से 7:22 बजे तक निर्धारित किया गया है. इस प्रकार, कलश स्थापना का कुल समय 1 घंटा 6 मिनट होगा. इसके अतिरिक्त, कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में भी की जा सकती है, जो सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 बजे तक रहेगा. इस दौरान 47 मिनट का समय उपलब्ध होगा.

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ज्योतिषाचार्य से जानें कलश स्थापना की विधि

ज्योतिषाचार्य डॉ एन के बेरा के अनुसार, कलश स्थापना के लिए सबसे पहले स्नान और ध्यान करें, फिर शुभ मुहूर्त में पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन ग्रहण करें. अपने शरीर को शुद्ध करें. शरीर का शुद्धिकरण इस मंत्र से करें: ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा. य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:. सबसे पहले गणेश देव का आवाह्न करें और पूजा का संकल्प लें. इसके बाद नौ ग्रह, कुलदेवी और कुल मातृकाओं का पूजन करें. फिर देवी दुर्गा का आवाह्न और पूजन करें. जातक दुर्गावेदी के सामने दक्षिण दिशा में बालू बिछाकर उस पर स्वस्तिक या अष्टदल कमल बनाएं. इसके बाद सप्तधान (जौ, गेहूं, धान, तिल, कौनी, चना और सावा) को रखकर उस पर कलश स्थापित करें. कलश में स्वस्तिक बनाएं और मौली धागा लपेटें. कलश में जल भरकर उसमें सप्तमृतिका (सात प्रकार की मिट्टी) डालें. पंच रत्न और सर्वोषधि डालें. भगवती का स्मरण करते हुए पृथ्वी को स्पर्श करें. कलश में अक्षत, फूल, चंदन और सुपारी रखें. उसके ऊपर चावल से भरा ढक्कन रखें. कलश स्थापित करते समय मंत्रोच्चारण करें. कलश अधिष्ठात्री देवताभ्यों नम: वरूणादि देवताभ्यों नम:उसके बाद कलश स्थापित करें.

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