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Sheetala Ashtami 2022: कब है शीतला अष्टमी ? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Sheetala Ashtami 2022: होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. इसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है.

Sheetala Ashtami 2022: शीतला अष्टमी हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है. जिसमें शीतला माता का व्रत एवं पूजन किया जाता है. शीतला अष्टमी का पर्व होली समाप्त होने के 8 दिन बाद मनाया जाता है. जोकि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है. शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है. इस व्रत में बासी भोजन माता को अर्पित किया जाता है और फिर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. तथा सभी लोगों को इस दिन बासी भोजन ही खिलाया जाता है. इस बार शीतला अष्टमी का पर्व 25 मार्च, दिन शुक्रवार को पड़ रहा है. जानें शीतला अष्टमी शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

Sheetala Ashtami 2022 Shubh Muhurat: शीतला अष्टमी शुभ मुहूर्त

शीतला अष्टमी दिन और तारीख- 25 मार्च 2022, दिन शुक्रवार

शीतला अष्टमी पूजा का समय – सुबह 06:20 बजे से लेकर शाम 06:35 बजे तक शीतला माता की पूजा की जाएगी.

अष्टमी तिथि प्रारंभ 25 मार्च 2022 12:09 AM अष्टमी तिथि समाप्त 25 मार्च 2022 10:04 PM

Sheetala Ashtami 2022: शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है

होली के बाद और चैत्र नवरात्रि से पहले आने वाली चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन शीतला माता की पूजा करने का विधान है. मां के इस स्वरुप को बासी भोजन का भोग लगाने की पुरानी परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि, शीतला माता को बासी भोजन अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों का कल्याण करती हैं. वहीं हिन्दू धर्म में इस बासी भोजन को बासौड़ा के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि चैत्र माह की अष्टमी तिथि को शीतला माता की पूजा करने से वे प्रसन्न होती हैं और बच्चों की रोगों से रक्षा करती हैं.

Sheetala Ashtami Puja Vidhi: शीतला माता की पूजा विधि

  • शीतला अष्टमी से एक दिन पहले ही सप्तमी के दिन चूरमा, कच्चा और पक्का खाना, मीठा भात, खाजा, नमक पारे, बेसन की पकौड़ी आदि शुद्धता के साथ बना कर रख लें.

  • बनी हुई सारी चीजें अगले दिन यानी शीतला अष्टमी की पूजा में रखनी है.

  • बसोड़े के दिन यानी शीतला अष्टमी के दिन ठंडे पानी से नहाएं और साफ वस्त्र धारण करें.

  • अब एक कड़वारे भरें. कड़वारे में रबड़ी, चावल, पुए,पकौड़े और कच्चा पक्का खाना रखें.

  • अब एक दूसरी थाली में काजल, रोली,चावल, मौली, हल्दी, होली वाले बड़गुल्लों की एक माला व एक रूपए का सिक्का रख लें.

  • बिना नमक का आंटा गूथकर उससे एक दीपक बनाएं और उसमें रूई की बाती घी में डुबोकर लगाएं.

  • यह दीपक बिना जलाए ही माता शीतला को चढ़ाया जाता है.

  • पूजा की थाली पर कंडवारो से तथा घर के सभी सदस्यों को रोली और हल्दी से टिका लगाएं.

  • इसके बाद मंदिर में जाकर पूजा करें या शीतला माता घर हो तो सबसे पहले माता को स्नान कराएं.

  • स्नान के बाद रोली और हल्दी से शीतला माता का टीका करें.

  • माता शीतला को काजल, मेहंदी, लच्छा और वस्त्र अर्पित करें.

  • तीन कंडवारे का समान अर्पित करें.

  • बड़ी माता बोदरी और अचपडे के लिए माता शीतला को बड़गुल्ले अर्पित करें.

  • आटे का दीपक बिना जलाएं माता के सामने रखें.

  • माता को भोग की चीजें अर्पित करें और जल चढ़ाएं और जो जल बहे, उसमें से थोड़ा सा जल लोटे में डाल लें. इसके बाद यह जल घर में छिड़क दें. इससे घर की शुद्धि होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

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