Pradosh Vrat 2024: फाल्गुन शुक्र प्रदोष व्रत कब है? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Shukra Pradosh Vrat 2024: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखकर देवों के देव महादेव की पूजा अर्चना करने पर धन, सुख और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मिलता है.

By Radheshyam Kushwaha | March 15, 2024 4:54 PM

Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता है. पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में, इस तरह से साल में कुल प्रदोष व्रत 24 बार आता है. शास्त्रों में फाल्गुन महीने का दूसरा प्रदोष व्रत बहुत खास माना जाता है. फाल्गुन महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 22 मार्च 2024 को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ शिवलिंग में वास करते हैं, इस दिन जो भी भक्त भगवान शिव की पूजा करता है, उसे धन, सुख और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मिलता है.

शुक्र प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त

फाल्गुन महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 22 मार्च 2024 को रखा जाएगा. त्रयोदशी तिथि के दिन शिव जी कैलाश पर शाम को नृत्य करते हैं और देवी-देवता उनकी आराधना करते हैं. पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 मार्च 2024 को सुबह 04 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 23 मार्च 2024 को सुबह 07 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी. प्रदोष व्रत पूजा का समय 22 मार्च 2024 दिन शुक्रवार को शाम 06 बजकर 34 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 55 मिनट तक है.

प्रदोष व्रत पूजा विधि

  1. प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
  2. पूजा घर की अच्छी तरह साफ-सफाई करें.
  3. इसके साथ ही भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लें.
  4. एक वेदी पर शिव-पार्वती, गणेश-कार्तिकेय जी की प्रतिमा स्थापित करें.
  5. प्रदोष काल में शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करने पर सफलता मिलती है.
  6. कुमकुम और सफेद चंदन से तिलक कर देसी गाय के घी का दीया जलाएं.
  7. पूजा में बेल पत्र और सफेद फूलों की माला अवश्य शामिल करें.
  8. भगवान शिव- माता पार्वती को खीर का भोग लगाएं.
  9. प्रतिमा के सामने बैठकर पंचाक्षरी मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.
  10. आरती कर महादेव से व्रत में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे.
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शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यता कि हर मास के त्रयोदशी तिथि की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति शिव प्रतिमा के दर्शन करता है उसके समस्त समस्याओं का हल निकलता है. शुक्र प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करने पर सुख के साथ हर काम में सफलता मिलती है. प्रदोष काल सूर्यास्त के डेढ़ घंटे बाद तक माना जाता है, इसी कारण इस व्रत को भी लोग प्रदोष व्रत के नाम से जानते हैं.

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