12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सोहराय, लोहड़ी, मकर संक्रांति और पोंगल : प्रकृति के स्वागत का पर्व

Sohray, Lohri, Makar Sankranti and Pongal: नववर्ष के आगाज के साथ पर्व-त्योहार का सिलसिला शुरू हो गया है. आज आदिवासी समाज सोहराय और पंजाबी समुदाय के लोग लोहड़ी मनायेंगे. गुरुवार को देश भर में मकर संक्रांति और दक्षिण भारत में पोंगल की धूम रहेगी.

Sohray, Lohri, Makar Sankranti and Pongal: नववर्ष के आगाज के साथ पर्व-त्योहार का सिलसिला शुरू हो गया है. आज आदिवासी समाज सोहराय और पंजाबी समुदाय के लोग लोहड़ी मनायेंगे. गुरुवार को देश भर में मकर संक्रांति और दक्षिण भारत में पोंगल की धूम रहेगी. इन पर्व को मनाने का उद्देश्य एक ही है, प्रकृति को धन्यवाद देना और उनके प्रति अपना आभार प्रकट करना.

इन पर्वों के जरिये अलग-अलग समुदाय के लोग अपने परंपरा व नियमों के मुताबिक पूजा करते हैं और खुशी व्यक्त करते हैं. इन पर्वों को नववर्ष के आगमन का सुखद संदेश भी माना जाता है. कहा जाता है कि नयी फसल की पूजा व प्रकृति के प्रति अाभार प्रकट करने से सालों भर हमारा घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहेगा.

सोहराय : मवेशियों को धन्यवाद देने का पर्व : आदिवासी समाज के लोग आज सोहराय मनायेंगे. रांची के शहरी क्षेत्र से लेकर संताल इलाके में आदिवासी समाज में अखड़ा सज्जा से लेकर तीन दिवसीय पर्व को मनाने का उत्साह देखा जा रहा है. मंगलवार को लोग अपने घर की साफ-सफाई, लीपाई-पोताई करने के साथ दीवारों पर सोहराय चित्रकला व दरवाजे पर अल्पना सजाते दिखे. 14 जनवरी को आदिवासी समुदाय अपने-अपने घर के मवेशियों की साज-सज्जा कर उनके मनोरंजन व विशेष खान-पान की तैयारी कर रहे हैं.

तैयार किये जायेंगे सात तरह के ‘पखवा’: साहित्यकार गिरधारी राम गंझू ने बताया कि सोहराय पर्व को आदिवासी समाज नये फसल के साथ-साथ पशु-पक्षियों को समर्पित करते हैं. खेती-किसानी से जुड़े होने के साथ पशुओं को इस दिन खास तौर पर पूजा जाता है. पशु-पक्षी जो किसान वर्ग के लिए गोधन, बाजीधन और साधन है, उन्हें लक्ष्मी मानकर पूजते हैं.

ऐसे में सोहराय के दिन पशुओं के लिए खासतौर पर सात तरह के पखवा (व्यंजन) तैयार किये जाते हैं. इसे चना, उड़द, कुर्थी, चावल, गेहूं, मकई और बोदी (घंघरा) से तैयार किया जाता है. पशुओं को स्नान और सज्जा कराने के बाद उनके सामने इन व्यंजनों को परोसा जाता है. इसका आनंद परिवार के लोग मिलकर उठाते हैं.

विजय बाली धन समृद्धि का प्रतीक : पर्व के दिन पशुओं के लिए खासतौर पर अखड़ा सजाया जाता है. पशुओं का शृंगार कर उन्हें आस-पास के इलाके में घुमाया जाता है. गाय और बैल के सिंह पर सज्जा के रूप में धान की बाली आभूषण के तौर पर सजायी जाती है.

अखड़ा में लोग एकजुट होकर ढोल-नगाड़ा व मांदर बजाकर उन्हें नचाते हैं और फिर पशुओं को झुंड में छोड़ दिया जाता है. गांव के बलवान व्यक्ति व युवाओं को इन पशुओं के सिंघ पर लगी धान की बाली को लेकर घर लाना होता है. यह विजय बाली कहलाती है. इसे घर के प्रवेश द्वार पर धन-धान्य व समृद्धि के प्रतीक के रूप में लगाया जाता है.

Also Read: Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति पर शनि समेत ये पांच ग्रहों का बन रहा विशेष योग, जानें किन जातक पर रहेगी इन सबकी कृपा…

Posted by: Pritish Sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें